देहरादून। हर्षिता। दीपावली के 11वें दिन मनाया जाने वाला उत्तराखंड का लोक पर्व ‘इगास-बग्वाल’ इस बार प्रदेश भर में अभूतपूर्व उत्साह और पारंपरिक उल्लास के साथ मनाया गया। इसकी शुरुआत हुई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास से, जहां पूरे परिसर में ढोल-दमाऊ की थाप, रणसिंघे की गूंज और पारंपरिक परिधानों में सजे लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों ने वातावरण को पूर्णतः उत्तराखंडी रंग में रंग दिया।

मुख्यमंत्री धामी ने अपनी पत्नी संग पारंपरिक रूप से भैलो खेलकर इगास पर्व का शुभारंभ किया। उनके साथ राज्यपाल गुरमीत सिंह और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी उत्सव में सहभागिता की। इस मौके पर सीएम धामी ने कहा –

“इगास पर्व हमारी संस्कृति की आत्मा है। यह पर्व हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है, अपनी भाषा, बोली और परंपरा को संजोए रखने की प्रेरणा देता है। नई पीढ़ी को इस उत्सव के माध्यम से अपने पहाड़ की पहचान से जोड़ना ही असली उद्देश्य है।”

कार्यक्रम में गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी नृत्यों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘झुमैलो’, ‘छोलिया’ और ‘जागर’ की धुनों पर सीएम और अतिथि भी थिरकते नजर आए। दीपों की रोशनी में सजे आवास परिसर ने एकता और लोक संस्कृति का जीवंत प्रतीक प्रस्तुत किया।
रुद्रप्रयाग में डीएम का गढ़वाली संबोधन बना आकर्षण का केंद्र
गुलाबराय क्रीड़ा मैदान में आयोजित भव्य इगास महोत्सव में जिलाधिकारी प्रतीक जैन ने गढ़वाली भाषा में संबोधन कर सबका दिल जीत लिया। उन्होंने कहा,
“आज कु संस्कृति कु संगम ईगास पर्व च। अपनु पुर्खों की याद मा दीप जालोंण च — यू दिन अपनु एकता और पहचान कु दिन च।”
मंत्री सौरभ बहुगुणा ने दीप प्रज्वलन और भैलो खेलकर उत्सव का शुभारंभ किया और कहा कि लोक पर्वों को गांव-गांव तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।

पौड़ी गढ़वाल में गूंजे जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के स्वर
रामलीला मैदान में मनाए गए इगास पर्व में हजारों लोग जुटे। प्रीतम भरतवाण के लोकगीतों ने मैदान को गढ़वाली संस्कृति की महक से भर दिया। सांसद अनिल बलूनी, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत ने दीप प्रज्वलन कर पर्व का शुभारंभ किया। पारंपरिक ‘भैलो’ खेल और ‘मंडाण’ की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
टिहरी और मसूरी में भी छलका उल्लास
टिहरी के बौराड़ी स्टेडियम में डीएम नितिका खंडेलवाल ने स्थानीय महिलाओं के साथ भैलो खेलकर पर्व मनाया, तो मसूरी में पर्यटक भी उत्सव का हिस्सा बने। सिल्वरटन पार्किंग पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में रस्साकशी, लोकगीत, ढोल-दमाऊ और आतिशबाजी ने सबका मन मोह लिया।

इगास की मान्यता और संदेश
लोक मान्यता के अनुसार, इगास वीर भड़ माधो सिंह भंडारी की विजय यात्रा की स्मृति में मनाया जाता है। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खबर 11 दिन बाद पर्वतीय क्षेत्रों तक पहुंची, तो लोगों ने उसी दिन दीप जलाकर इगास मनाया।
आज भी यह पर्व गांवों की एकता, अपनत्व और लोक संस्कृति के पुनर्जीवन का प्रतीक है।
देवभूमि के हर कोने में ढोल-दमाऊ की गूंज, दीपों की झिलमिल और भैलो की थाप के साथ एक ही संदेश गूंजा —
🌺 “अपणु पर्व, अपणु गौं, अपणु गौरव — इगास बग्वाल की जय!” 🌺
