हरिद्वार, 02 नवम्बर 2025। हर्षिता। पतंजलि विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारी महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को मेरी हार्दिक बधाई एवं आशीर्वाद है। पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों की मैं विशेष सराहना करती हूँ। उन्होंने कहा कि आज उपाधि प्राप्त करने वालों में 64 प्रतिशत छात्राएँ हैं तथा पदक प्राप्त करने वाली बेटियों की संख्या छात्रों से चार गुना अधिक है। यह विकसित भारत की दिशा में महिलाओं की नेतृत्वकारी भूमिका का सशक्त संकेत है।

महामहिम ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति की उस गौरवशाली परंपरा का संवाहक है जिसमें गार्गी, मैत्रेयी, अपाला और लोपामुद्रा जैसी विदुषी महिलाओं ने समाज को बौद्धिक और आध्यात्मिक दिशा दी। उन्होंने कहा कि यहाँ से शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी “हरि” और “हर” दोनों के पावन द्वार हरिद्वार में देवी सरस्वती की आराधना करने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि महर्षि पतंजलि ने योग, व्याकरण और आयुर्वेद के माध्यम से मन, वाणी और शरीर की शुद्धि का मार्ग दिखाया। पतंजलि विश्वविद्यालय उन्हीं की परंपरा को आधुनिक संदर्भों में आगे बढ़ा रहा है। योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा और अनुसंधान का यह प्रयास स्वस्थ भारत के निर्माण में सहायक है। उन्होंने कहा कि “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना को आत्मसात कर विद्यार्थी वैश्विक कल्याण के लिए कार्य करें।

उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन में स्वाध्याय, तपस्या और सरलता को अपनाने का संदेश दिया और कहा कि जैसे भगीरथ ने कठिन तपस्या से मां गंगा को पृथ्वी पर अवतरित कराया, वैसे ही प्रत्येक विद्यार्थी अपने संकल्पों को सिद्ध करे।

इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति द्वारा विश्वविद्यालय की टॉपर साध्वी देवपूजा सहित अनेक मेधावी छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने राष्ट्रपति महोदया का स्वागत करते हुए कहा कि देवभूमि उत्तराखंड केवल एक राज्य नहीं, बल्कि योग, आयुर्वेद और अध्यात्म का प्राण-केंद्र है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाना भारत की ऋषि परंपरा को वैश्विक पहचान प्रदान करता है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने ज्ञान का उपयोग मानवता के कल्याण में करें।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संघर्षशील जीवन और मातृत्व से परिपूर्ण व्यक्तित्व हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय आधुनिक शिक्षा को भारतीय संस्कारों और अध्यात्म से जोड़ने का कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और बिग डेटा जैसे कोर्सेज शुरू कर युवाओं को फ्यूचर-रेडी बना रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में लागू नकल विरोधी कानून से पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया संभव हुई है और 26 हजार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है।

कुलाधिपति स्वामी रामदेव ने कहा कि राष्ट्रपति महोदया की उपस्थिति विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है। उन्होंने बताया कि इस दीक्षांत समारोह में 54 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, 62 को पीएच.डी., 3 को डी.लिट. तथा कुल 1424 विद्यार्थियों को डिग्रियाँ प्रदान की गई हैं।

कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक और सामाजिक उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया।

समारोह में हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्यसभा सांसद कल्पना सैनी, पूर्व कैबिनेट मंत्री यतिश्वरानंद महाराज सहित अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी, गणमान्य नागरिक, अभिभावक और छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।

By DTI