दिव्या टाइम्स इंडिया। मणिपुर में तीन मई से शुरु हुई हिंसा अभी तक पूरी तरह बंद नहीं हो सकी है। भले ही जातीय हिंसा के साढ़े चार महीने बाद मणिपुर सरकार ने इंटरनेट से बैन हटा लिया है, लेकिन वहां पर चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। उपद्रवियों के हाथ में अभी पुलिस थानों व ट्रेनिंग सेंटरों से लूटे गए 3000 हथियार और गोला बारूद मौजूद है। उनमें ‘AK-47’ व दूसरे तरह के घातक हथियार शामिल हैं। अब मणिपुर सरकार और सुरक्षा बलों के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। वह है, उपद्रवियों द्वारा सुरक्षा बलों जैसी वर्दी व गाड़ियां इस्तेमाल करना।
राज्य में एक उपद्रवी समूह के पास ‘असम राइफल’ जैसी गाड़ियां देखी जा रही हैं। हमले के दौरान उपद्रवी, किसी न किसी बल की वर्दी में नजर आते हैं। लूटे गए हथियार वापस जमा कराने के लिए अब मणिपुर सरकार ने दोबारा से अपील की है। ऐसे लोगों को दो सप्ताह का समय दिया गया है। इसके बाद जिस किसी व्यक्ति के पास अवैध हथियार मिलेगा, उसके साथ गंभीरता से निपटा जाएगा ।
व्यापक तलाशी अभियान शुरु होगा
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है, अगर अवैध हथियारों को 15 दिनों के भीतर जमा करा दिया जाता है तो उनके खिलाफ दर्ज मामलों पर विचार किया जाएगा। बीरेन सिंह ने कहा, राज्य में हालात सुधरे हैं, जिसके चलते इंटरनेट से बैन हटाने का निर्णय लिया गया है। दो सप्ताह के बाद अवैध हथियारों को बरामद करने के लिए पूरे राज्य में एक मजबूत और व्यापक तलाशी अभियान शुरु होगा। उस वक्त जिस किसी के पास भी अवैध हथियार मिलेगा, उसके साथ गंभीरता से निपटा जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि पुलिस थानों एवं ट्रेनिंग सेंटरों से लूटे गए हथियारों का इस्तेमाल कर उपद्रवी समूह, रोड ब्लॉक कर रहे हैं। जबरन वसूली और धमकी दी जा रही है। सुरक्षा बलों पर हमला कर रहे हैं। लोगों का अपहरण करने के लिए भी उन्हीं हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मणिपुर में अभी तक लगभग 180 लोग, हिंसा में मारे जा चुके हैं। 70 हजार से ज्यादा लोग कैंपों में रह रहे हैं।