हरिद्वार गगन नामदेव।आज महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर ज्वालापुर क्षेत्र के कई नन्हे तीर्थ पुरोहित बालकों ने आचार्य करुणेश मिश्रा के आचार्यत्व में सस्वर रुद्री पाठ कर रुद्राभिषेक किया। पिछले कई माह से आचार्य करुणेश मिश्रा द्वारा तीर्थ पुरोहित समाज के कम उम्र के बालकों को वेद अध्ययन का अभ्यास नियमित कराया जा रहा है। जिसमें अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे शामिल हैं। जिनको रुद्री पाठ, दुर्गा सप्तशती, स्वस्तिवाचन, नवग्रह शांति पाठ, व सुंदरकांड इत्यादि का सस्वर अभ्यास कराया जा रहा है। आज महाशिवरात्रि के पर्व पर आचार्य करुणेश मिश्रा के आवास पर सभी वेदाध्यायी बालक एकत्रित हुए और सस्वर रुद्री का पाठ करते हुए रुद्राभिषेक किया गया।

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इस अवसर पर ज्वालापुर के कई नागरिकों ने सपरिवार भाग लिया एवं इन बालकों की बहुत प्रशंसा की। आपको बता दें लगातार पाश्चात्य संस्कृति में बढ़ते हुए तीर्थ पुरोहित समाज के बालक भी अपने मूल कार्य से विमुख हो रहे हैं। संस्कृत एवं वेद अध्ययन के प्रति इन ब्राह्मण बालकों में बिल्कुल भी रुचि नहीं है यहां तक की अपने पारंपरिक कार्यो को छोड़कर नौकरी एवं व्यापारिक गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। इस पीड़ा को समझते हुए प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य करुणेश मिश्र ने यह बीड़ा उठाया और अंग्रेजी विद्यालयों में भी पढ़ने वाले संपन्न परिवार छोटे बालकों को एकत्रित कर उनको वेद अध्ययन के लिए प्रेरित किया। आज 50 से भी अधिक बालक आचार्य करुणेश मिश्र के सानिध्य में वेद अध्ययन कर रहे हैं। और फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलना जानते हैं। छोटे बालकों की इस प्रतिभा से तीर्थ पुरोहित समाज में एक नई जागृति आई है। बड़ी उम्र के भी जो लड़के वेद अध्ययन व संध्या उपासना करने से हिचकते थे। वह भी अब छोटे बालकों के साथ ही वेद अध्ययन के कार्य में लग गए हैं। प्रतिदिन शाम को पीठ बाजार की पुरोहित धर्मशाला में यह तीर्थ पुरोहित बालक वेद अध्ययन करते हैं। जिनके स्वरों से पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है जिसके चलते अन्य जाति समुदाय के लोग भी इस प्रयास की अत्यधिक प्रशंसा कर रहे हैं।
आज महाशिवरात्रि के पर्व पर इन बालकों द्वारा संपूर्ण रुद्राभिषेक कार्यक्रम किया गया और इनकी वेद ॠचाओं का स्वर इतना था की बाजार एवं पड़ोस की लोगों ने भी इनकी इस प्रतिभा को आकर देखा और इस प्रयास को और बड़ा करने का निवेदन आचार्य करुणेश मिश्रा से किया।

इस अवसर पर आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि भगवान शिव वेद अध्ययन के सबसे प्रमुख सारभूत हैं उनकी आराधना में योग ,ध्यान भी आता है, उपासना भी आती है, कर्म भी आता है, बंधन भी आता है और मुक्ति भी आती है। रुद्राष्टाध्यायी संपूर्ण वेद अध्ययन का सार है जिसको यह पढ़ना आ गया वह अन्य सभी प्रकार के वेद-पुराण का अध्ययन सरलता से कर सकता है। हमारा लक्ष्य है की ब्राह्मण परिवारों के प्रत्येक बालक का यज्ञोपवित संस्कार समय से हो तथा गणेश-गौरी पूजन एवं संध्या उपासना अवश्य आनी चाहिए। इस अवसर पर अखिलेश शर्मा, उज्जवल पंडित भावेश सीखौला, प्रभांस मिश्रा, ऐश्वर्या शर्मा, पार्थ शर्मा, एकलव्य पंडित, आध्यात्म पंडित, शिवांश शर्मा सराय वाले, अनिमेष मैत्रय, शौर्य गौतम आदि पुरोहित समाज के अनेक व्यक्ति सपरिवार उपस्थित रहे।

By DTI