नई दिल्ली।डी टीआई न्यूज़।पीएम नरेंद्र मोदी ने मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि विपक्ष कह रहा है ‘मर जा मोदी-मर जा मोदी’, लेकिन जनता का कहना है कि मोदी तेरा कमल खिलेगा। प्रधानमंत्री की यह भविष्यवाणी सच साबित होती दिख रही है। त्रिपुरा में भाजपा 32 सीटों पर बढ़त के साथ रुझानों में फिर से सरकार ना रही है।
इसके अलावा नागालैंड में भी उसे 12 सीटों पर बढ़त है, जिनमें से 2 पर वह जीत चुकी है। इसके अलावा मेघालय में मैच फंस गया है। 60 सीटों वाले राज्य में सबसे ज्यादा 24 सीटों पर एनपीपी आगे चल रही है, जो कि बहुमत से दूर का आंकड़ा है। ऐसे में 5 सीटों वाली भाजपा और कुछ अन्य के साथ एनपीपी सरकार बना सकती है।
पहले भी भाजपा एनपीपी सरकार का हिस्सा थी। इस तरह तीनों ही राज्यों में भाजपा की सत्ता में हिस्सेदारी होगी। वोट शेयर के मामले में भी भाजपा की अच्छी स्थिति दिख रही है। पूर्वोत्तर राज्यों में कभी बेहद कमजोर कही जाने वाली भाजपा को त्रिपुरा में 39 फीसदी वोट मिले हैं। इसके अलावा नागालैंड में भी उसे 18 फीसदी लोगों ने पसंद किया है।
मेघालय में भाजपा के खाते में 8 फीसदी वोट जाते दिख
हैं। टीएमसी को भी मेघालय में 5 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि वह सत्ता से दूर ही रहेगी। इस बीच खबर है कि एनपीपी के कोनराड संगमा और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के बीच मुलाकात हुई। ऐसे में दोनों मिलकर सरकार बना सकते हैं।
भाजपा के लिए सबसे अहम त्रिपुरा की जीत होगी। 2018 में सत्ता में आई भाजपा को यहां इससे पहले छिटपुट सफलता ही मिली थी, लेकिन पहली बार 5 साल पहले ही उसे सत्ता मिली थी। ऐसे में उसका यहां पर खुद को रिपीट करना अहम होगा। बंगाली और आदिवासी समुदाय की आबादी वाले त्रिपुरा में भाजपा जीत उसके लिए देश भर में मायने रखेगी। खासतौर पर आदिवासी बहुल इलाकों में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है।
इसी साल मध्य प्रदेश में इलेक्शन होने हैं, जहां 1 करोड़ से अधिक आबादी आदिवासियों की है। यहां वह त्रिपुरा की जीत का जिक्र कर आदिवासी वोट बैंक पर दावा ठोक सकती है।
अब कांग्रेस की बात करें तो उसके लिए ये चुनाव बेहद निराशाजनक हैं। इस साल कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं और इस तरह खाता खुलना उसके लिए परेशान करने वाला है। त्रिपुरा में कांग्रेस सिर्फ 4 सीटों पर ही आगे चल रही है और उसे 8 फीसदी वोट ही मिले हैं। इसके अलावा लेफ्ट पार्टी सीपीएम को भी 24 फीसदी वोट ही मिल सकते हैं। नागालैंड और मेघालय में भी कांग्रेस के लिए रुझान बहुत उत्साह बढ़ाने वाले नहीं हैं।