हरिद्वार।हर्षिता।नगर निगम हरिद्वार के बहुचर्चित ₹54 करोड़ के ज़मीन घोटाले की जांच पूरी हो चुकी है और अब सरकार की कार्रवाई का इंतजार है। इस प्रकरण में अब तक नगर निगम के चार अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जबकि तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम भी जांच रिपोर्ट में सामने आए हैं।
🔍 घोटाले की जड़: कृषि भूमि को महंगे दामों पर खरीदा गया
नगर निगम ने 35 बीघा कृषि भूमि को सराय क्षेत्र में खरीदा, जो कूड़े के ढेर के पास स्थित है।
➡️ जमीन की असल प्रवृत्ति कृषि थी, लेकिन खरीद से पहले भूमि उपयोग बदलकर सर्किल रेट बढ़ाया गया।
➡️ बिना तकनीकी परीक्षण और ज़रूरत के इस जमीन को ₹54 करोड़ में खरीदा गया।
➡️ ज़मीन नागरिक उपयोग के लिए अनुपयुक्त थी, फिर भी खरीद प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।
🧾 जांच की पूरी कहानी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले को गंभीरता से लिया और IAS रणवीर सिंह चौहान को जांच सौंपी गई।
🔎 उन्होंने दस्तावेज़ों की जांच, स्थल निरीक्षण किया और 24 अधिकारियों/पक्षों के बयान दर्ज किए।
📋 जांच रिपोर्ट शहरी विकास विभाग के सचिव नितेश झा को सौंप दी गई है।
❌ अब तक हुई कार्रवाई
🔴 निलंबित अधिकारी:
प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल
प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण
कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट
अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल
🔴 सेवा समाप्त:
संपत्ति लिपिक वेदवाल, जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद सेवा विस्तार मिला था।
इन सभी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें सेवा विस्तार के दौरान की गई अनियमितताएँ भी शामिल हैं।
🔜 अब बड़े अफसरों की बारी?
सूत्रों के मुताबिक, जांच रिपोर्ट में तीन वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। अब सवाल ये है कि:
क्या सरकार इन पर भी कार्रवाई करेगी?
क्या ये घोटाला और भी गहराएगा?
🧭 अगला कदम
मुख्यमंत्री के निर्देश पर चली इस निष्पक्ष जांच के बाद अब सरकार की कार्रवाई सबसे बड़ा सवाल बन गई है। क्या इस घोटाले में शामिल बड़े चेहरे कानून के शिकंजे में आएंगे?
📢 यह मामला सिर्फ एक ज़मीन खरीद का नहीं, बल्कि जवाबदेही, पारदर्शिता और सरकारी धन के दुरुपयोग से जुड़ा है।