हरिद्वार, 10 अक्टूबर : हर्षिता। पतंजलि विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में एक सारगर्भित और प्रेरक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों, शिक्षकों और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील बनाना तथा तनाव, चिंता और आपात स्थितियों में मानसिक संतुलन बनाए रखने के उपायों पर प्रकाश डालना था।

कार्यशाला का शुभारंभ वेद मंत्र एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। तत्पश्चात विभागाध्यक्ष एवं कार्यशाला की संयोजिका डॉ. वैशाली गौर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के दौर में मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा शारीरिक स्वास्थ्य जितनी ही महत्वपूर्ण हो गई है।

मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में माइंडक्राफ्ट के सीईओ एवं निदेशक डॉ. जयन नम्‍बूदिरी ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर “एक्सेस टू सर्विसेज इन कैटास्ट्रॉफीज़ एंड इमरजेंसीज़” विषय पर अपनी गहन प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के बिना संपूर्ण स्वास्थ्य अधूरा है। डॉ. नम्‍बूदिरी ने उदाहरणों और अनुभवों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि किसी भी प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना या आकस्मिक संकट की स्थिति में मानसिक दृढ़ता व्यक्ति को पुनः संभलने की क्षमता प्रदान करती है।

उन्होंने बताया कि एक स्वस्थ मनुष्य के लिए 8 घंटे की नींद, संतुलित एवं पौष्टिक आहार और खुशमिजाजी आवश्यक तत्व हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ केवल रोगमुक्त रहना नहीं, बल्कि भावनात्मक , मनोवैज्ञानिक और सामाजिक संतुलन में रहना है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि मन अस्थिर है, तो व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में आत्मविकास नहीं कर सकता।

कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के मुख्य केंद्रीय प्रभारी स्वामी परमार्थदेव जी ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि मानव जीवन में मानसिक स्वास्थ्य वही स्थान रखता है जो शरीर के लिए प्राण वायु रखती है। उन्होंने कहा कि आज की प्रतिस्पर्धी और तकनीक-प्रधान जीवनशैली में मन का नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने उपस्थित छात्रों और शिक्षकों से कहा कि यदि हम अपने मन को वश में कर लें, तो जीवन में कोई भी परिस्थिति हमें विचलित नहीं कर सकती।

इस अवसर पर डॉ. लोकेश गुप्ता, सह-आचार्य, मनोविज्ञान विभाग ने मानसिक स्वास्थ्य के शैक्षिक और सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर परामर्श और जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता समय की मांग है। वहीं विश्वविद्यालय के दर्शनशात्र के सहायक आचार्य डॉ. सांवर सिंह ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षण और प्रशासनिक अधिकारी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। प्रतिभागियों ने कार्यक्रम को अत्यंत उपयोगी और आत्मविश्लेषण का अवसर प्रदान करने वाला बताया। कार्यक्रम का मंच संचालन आहाना गुप्ता और राशी ने किया। अंत में
कार्यशाला का समापन सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि प्रत्येक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएगा और समाज में इसके प्रति जागरूकता फैलाने में योगदान देगा।

By DTI