देहरादून,डीटी आई न्यूज़: उत्तराखंड सरकार प्रदेशवासियों को एक तोहफा देने जा रही है. जिसकी घोषणा ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने की है. ऊर्जा विभाग की कमान संभालने के बाद अधिकारियों की पहली बैठक में ही हरक सिंह रावत ने 100 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली देने की बात कही है. यही नहीं, 200 यूनिट तक बिजली का इस्तेमाल करने वाले लोगों को कुल बिल का 50 फीसदी बिल जमा करना होगा. ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि क्या राज्य सरकार के पास इतने संसाधन मौजूद हैं कि वो प्रदेश की जनता को मुफ्त बिजली उपलब्ध करवा सकती है? या फिर ये चुनावी साल में जनता को लुभाने के लिए सिर्फ एक चुनावी स्टंट तो नहीं है.
उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के रूप में जाना जाता है, लेकिन हालात यह हैं कि गर्मियों और मॉनसून के समय में इस ऊर्जा प्रदेश को अन्य जगहों से महंगे दामों पर बिजली खरीदनी पड़ती है. आलम यह है कि कई बार पीक टाइम में 10 रुपये प्रति यूनिट बिजली भी ऊर्जा विभाग को मजबूरी में खरीदनी पड़ती है. ऐसे में ऊर्जा मंत्री का प्रदेश के करीब 16 लाख लोगों को मुफ्त में बिजली देने का वादा क्या वास्तव में संभव हो पाएगा? क्योंकि ऊर्जा विभाग पिछले कई सालों से लगातार घाटे में डूबता जा रहा है. ऐसे में मुफ्त बिजली दिए जाने पर ऊर्जा विभाग के ऊपर सालाना करीब 600 करोड़ रुपए का भार आएगा.
उत्तराखंड में 24,551 मेगावाट क्षमता वाली जल विद्युत परियोजनाएं मौजूद हैं. इनमें से 3,993 मेगावाट निर्माणाधीन के तहत, 2,374 मेगावाट डीपीआर अनुमोदित के तहत, 7,590 मेगावाट सर्वे एवं इन्वेस्टिगेशन के अंतर्गत, 6,634 मेगावाट की परियोजना के साथ ही 3,959 मेगावाट की परियोजनाएं रुकी हुई हैं. इसके चलते यूजेवीएनएल (उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिसंबर महीने तक 4,091.21 एमडीयू का उत्पादन किया था.
ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश है, लेकिन पिछले 20 सालों से ऊर्जा प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश बनाए रखने के लिए जो कार्य किए जाने थे वह कार्य नहीं किए गए. पर्यावरण क्लीयरेंस के साथ ही कई एनजीओ की वजह से इन कामों में दिक्कतें आई. ऐसे में अब प्रदेश को पूर्ण रूप से ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए पहल की जाएगी. इसकी शुरुआत घोषणा के माध्यम से कर दी गई है. जिसका फायदा प्रदेश के 16 लाख ग्राहकों को होगा.
हरक सिंह रावत ने कहा राज्य सरकार पर ढाई सौ-चार सौ करोड़ रुपए से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि इससे प्रदेश के उन गरीब लोगों का भला होगा, उनके घर में मुफ्त में रोशनी आ सकेगी. ऊर्जा मंत्री ने कहा कोरोना संक्रमण की वजह से दिक्कतें जरूर आई हैं लेकिन लोगों को मुफ्त बिजली दिए जाने की जो घोषणा की गई है, वह सिर्फ कोविड-19 लिए नहीं है, बल्कि हमेशा के लिए रहेगी.
वित्तीय वर्ष 2014-15 में एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल लॉस के तहत विभाग को 18.64 % का नुकसान हुआ. वित्तीय वर्ष 2015-16 में एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल लॉस के तहत 17.19 % का नुकसान हुआ. वित्तीय वर्ष 2016-17 में एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल लॉस के तहत 15.85 % का नुकसान हुआ.वित्तीय वर्ष 2017-18 में एग्रीगेट टेक्निकल एंड कमर्शियल लॉस के तहत 16.10 %, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 16.52 % और वित्तीय वर्ष 2019-20 में 20.44 % का नुकसान हुआ.