जनपद पौड़ी गढ़वाल के अन्तर्गत रिखणीखाल प्रखंड के अन्तिम छोर में बसा ये गाँव” नावेतल्ली” है।ये गाँव बहुत पुराना बसा गाँव है।गाँव चारों तरफ से पहाड़ियों से आच्छादित है,इसके पूरब दिशा में नैनीडान्डा प्रखंड के बसेडी,ताल चिलाऊ तथा पौराणिक बून्गी देवी का मन्दिर ,पश्चिम में ग्राम डबराड,रिखणीखाल प्रखंड मुख्यालय,उत्तर में नैनीडान्डा प्रखंड के गाँव चैड चैनपुर,चैबाडा तथा दक्षिण में ग्राम गवाणा,सिदधपुर,मानसून की सूचना देने वाला जंगल मलैखान्द पड्ता है।इस पौराणिक गाँव में रावत ( कोइराला),रावत( कुकलियाल) तथा गुसाई( पटवाल) जाति के राजपूत रहते हैं।कुछ परिवार सन 1910 ई0 में बराई धूरा,सेरोगाढ,गाडियू बस गये तथा कुछ सन 1914 ई0 मे चैरियू(झरत) चले गये थे।यह गाँव पंचायत का सबसे ज्यादा जनसंख्या व आबादी वाला है।ग्राम पंचायत भी इसी गाँव के नाम से चलती है।इस गाँव पंचायत में गवाणा,नावेमल्ली,टान्डियू सम्मिलित हैं।इस गाँव की जनसंख्या तृतीय पंच वर्षीय योजना में(1961-1966)में मात्र 119 थी जो अब सन 2011की जनगणना में निम्न है-
गाँव पुरुष महिला
नावेतल्ली 72 101
नावेमल्ली 39 66
गवाणा 64 62
टान्डियू 22 26
महरकोट 0 , 0
यहाँ सिचित भूमि का क्षेत्रफल 127 नाली है तथा असिंचित भूमि 3648 नाली है।गाँव की सीमा ग्राम द्वारी से ग्राम चैबाडा तक,सिलगाव,गवाणा,टान्डियू तक फैली है।गाँव में विकास के नाम पर आजादी से अभी तक सिर्फ एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय है जिसकी स्थापना जनवरी,1986 में हुई,शेष विकास की किरणें व मोदी लहर अभी तक नहीं पहुँची।सिर्फ इन्तज़ार ही कर रहे हैं।
आजादी के पश्चात इस गाँव में प्रधान स्वर्गीय आलम सिंह रावत 1955-1972 ,उम्मेद सिंह रावत 1972-1982, विशन सिंह रावत 1982-1997, घुघरी देवी1997-2002, दिक्का देवी 2002-2007, बालम सिंह रावत 2007-2014, मनोती देवी 2014-2019 तथा वर्तमान में महिपाल सिंह रावत है।गाँव में बोली जाने वाली भाषा गढ़वाली,तल्ला सलाणी है।लोग सीधे सादे,भोले भाले हैं।
देखिए गांव का शानदार नजारा

ये वीडियो अभी हाल का ड्रोन से लिया हुआ है।ड्रोन से गाँव के पूरे मकान,गौशाला,मन्दिर,पाठशाला,उपजाऊ खेत,बंजर खेत साफ देखे जा सकते हैं।प्रभुपाल सिंह रावत का मकान भी सबसे पहले जिसके छत पर सफेद रंग का लेन्टर तथा पठालो के बीच सफेद रंग की पट्टिया दिखाई दे रही है।जो धुरपली पर हैं।वर्तमान मे वे सन 1984 से देहरादून में है फिर भी घर को सुव्यवस्थित ढ़ंग से रंग-रोगन किया है।गाँव समतल भूमि पर स्थित है।गाँव के पूरब दिशा में घना साल,सागौन,चीड,बान्ज,बुरास,काफल,मेलू आदि के है।इस गाँव के पूर्वज पहले महरकोट गाँव में रहते थे जहाँ अभी भी मकानो के अवशेष देखे गये है।वर्तमान में समय-समय के चक्र में पूरी कृषि भूमि जंगल व झाडी में तब्दील हो गयी है।जहाँ जंगली जानवर,सूअर,लंगूर,बन्दर का आतंक पसरा रहता है।
अब गाँव के लोग सरकार की तरफ टकटकी नजर लगाये बैठे है कि सरकार हमारी भी सुन लो।हम भी आपको वोट देते है।

