नई दिल्ली,संजीव मेहता।भारत समेत सारी दुनिया में इन दिनों कोरोना की नई लहर की चर्चा है. हर दिन नए मामलों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ रही है. मौजूदा लहर के लिए कोरोना वायरस के जिस वेरिएंट को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है उसका नाम है ओमिक्रॉन.
विशेषज्ञों का कहना है कि संतोष ये है कि ओमिक्रॉन से लोग उस गंभीरता से बीमार नहीं हो रहे जैसा कि पिछले वेरिएंट ख़ासकर डेल्टा से होने वाले संक्रमण के दौरान दिखा था. लेकिन ओमिक्रॉन से होने वाला संक्रमण बहुत तेज़ी से फैलता है. इस वजह से ही बड़ी संख्या में लोगों को सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करने की सलाह दी जा रही है. आइए समझते हैं कि क्या हैं इसके लक्षण.
ओमिक्रॉन के लक्षण क्या हैं?
ओमिक्रॉन से संक्रमित होने वाले ज़्यादातर लोगों को लगता है कि जैसे उन्हें ठंड लग गई है. गले में ख़राश, नाक बहने की दिक्कत और सिरदर्द होता है.
इससे पहले के कोरोना के वेरिएंट्स से संक्रमित होने पर अक्सर ऐसा होता था कि लोगों की सूँघने की शक्ति या स्वाद चला जाता था, या खांसी होती थी और तेज़ बुख़ार होता था. हालाँकि, आधिकारिक तौर पर अभी भी इन्हीं तीन लक्षणों को कोरोना के लक्षण माना जाता है.
ओमिक्रॉन कोरोना के पिछले ख़तरनाक वेरिएंट डेल्टा की तुलना में बहुत तेज़ी से फैलता है. लेकिन, इसके बावजूद स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है ओमिक्रॉन वैसा गंभीर नहीं, और इस बात की संभावना बहुत कम है कि संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ जाए.
इसकी मुख्य वजह ये है कि या तो लोगों को वैक्सीन लग चुकी है या फिर उन्हें पहले संक्रमण हो चुका है जिससे कि उनके शरीर में प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो जाती है.
ओमिक्रॉन का पता सबसे पहले दक्षिण अफ़्रीका में चला था, मगर समझा जाता है कि वहाँ अब इसका पीक गुज़र चुका है.
ब्रिटेन में भी ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि शायद पीक की स्थिति आ चुकी है, मगर जानकारों का कहना है कि मुश्किल तब हो सकती है जब ओमिक्रॉन बड़ी संख्या में बूढ़े लोगों को या ऐसे लोगों को संक्रमित करना शुरू करेगा जिनकी सेहत को किसी तरह का ख़तरा होता है.
वैक्सीन का असर होगा?
ओमिक्रॉन वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन वाले हिस्से में हुए बदलाव की वजह से शुरू में ऐसी चिंता हुई कि शायद अभी जो वैक्सीन हैं वो ओमिक्रॉन पर बेअसर हो जाएँगे.
मगर ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने इस बारे में अपनी रिसर्च में पाया कि अगर बूस्टर वैक्सीन यानी वैक्सीन की अतिरिक्त डोज़ ली जाए, तो 88% सुरक्षा बढ़ जाती है यानी अस्पताल पहुँचने की नौबत नहीं रहती. ये पिछले वेरिएंट्स से लड़ने की वैक्सीनों की क्षमता से बहुत मामूली ही कम है.
ब्रिटेन में एक और अध्ययन में पता चला है कि डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन से संक्रमित होने वाले लोगों के अस्पताल पहुँचने का ख़तरा लगभग आधा है.