नई दिल्ली, डी टीआई न्यूज़। कोरोना के ओमिक्रॉन BF.7 वैरिएंट से इस बार देश में उतना बड़ा संकट नहीं पैदा होगा, जितना कोरोना की पहली, दूसरी या तीसरी लहर में देखने को मिला था। देश की बड़ी आबादी पहले ही कोरोना की चपेट में आ चुकी है और इस कारण हमारे यहां बड़ी आबादी में कोरोना से लड़ने की क्षमता पैदा हो चुकी है। ज्यादातर लोगों को वैक्सीन का टीका लगने के कारण इस बार कोरोना ज्यादा खतरनाक साबित नहीं होगा।
कोरोना से अब तक लड़ने का हमारा अनुभव हमारे काम आएगा और भारत में संक्रमण बढ़ने पर भी हम इससे ज्यादा बेहतर ढंग से निपट सकेंगे। लेकिन इसके बाद भी किसी खतरे को कम करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिए। मास्क पहनने, हाथ धुलने और सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचने के उपाय अपनाकर हम कोरोना से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे।
AIIMS, दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा ने अमर उजाला से कहा कि हमें यह बात स्वीकार कर लेनी चाहिए कि अब कोरोना हमारे बीच हमेशा रहेगा, इसलिए हमें इसके लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए कि कोरोना कभी भी म्यूटेट कर नए रूप में हमारे सामने आ सकता है। इसलिए संक्रमण से बचने के कुछ व्यवहार हमें हमेशा से अपना लेना चाहिए। यदि इसके बाद भी हमें कोविड होता है तो इसका स्वयं कोई उपाय करने की बजाय प्रशिक्षित डॉक्टर से उचित इलाज कराना चाहिए। इससे सरकार कोरोना के किसी संभावित नए वैरिएंट को पकड़ने में सफल रहेगी।
2019 के अंत और 2020 की शुरुआत में आया कोरोना पूरी दुनिया के लिए पहला अनुभव था। कोई इसके खतरे से परिचित नहीं था और दुनिया इसके लिए तैयार नहीं थी। लेकिन भारत सहित दुनिया के तमाम देशों ने अब तक कोरोना के व्यवहार को काफी हद तक समझ लिया है, लिहाजा हमारा वह अनुभव इस बार कोरोना से लड़ाई में हमारे काम आएगा और हम इससे बचने के प्रभावशाली उपाय कर सकेंगे।