हिंदू धर्म में शादी-विवाह या अन्य मांगलिक कार्य शुभ मुहूर्त में ही पूरे होते हैं। शुभ मुहूर्त जानने के लिए पंचांग की गणना की जाती है। ऐसा करने के बाद ही पता चलता है कि कौन सा मुहूर्त आपके लिए शुभ रहेगा। अगर आप भी घर में कोई शुभ कार्य करना चाहते हैं तो उसे जल्द से जल्द निपटा लें। ऐसा न करने पर आपको कई महीनों का इंतजार करना पड़ सकता है। इसकी एक बड़ी वजह है चातुर्मास। हिंदू धर्म में चातुर्मास का खास महत्व होता है। इस अवधि में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं हो सकते हैं। आइए ते हैं कब से शुरू है चातुर्मास और क्या हैं इसके महत्व |
18 जून को है आषाढ़ अमावस्या
हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ अमावस्या तिथि 17 जून को सुबह 09 बजकर 13 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 18 जून की सुबह 10 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगी। चुकि अमावस्या पर सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है, इसलिए आषाढ़ अमावस्या 18 जून को ही मानी जाएगी। आषाढ़ अमावस्या पर स्नान का शुभ मुहूर्त 18 जून की सुबह 04.03 बजे से सुबह 04.43 बजे तक जबकि अभिजित मुहूर्त सुबह 11.54 बजे से दोपहर 12.50 तक रहेगा।
आषाढ़ अमावस्या का महत्व अमावस्या तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा जाती है। इस दिन पितृगण वायु के रूप में सूर्यास्त तक घर के दरवाजे पर रहते हैं और अपने परिवार से तर्पण और श्राद्ध की इच्छा रखते हैं। इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान कर तर्पण करें और घर में ब्राह्मणों को भोजन कराकर यथाशक्ति दान दें। पितृ पूजा करने से आयु में वृद्धि और परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ती है।