हरिद्वार। हर्षिता ।सावन के पावन महीने में रावण यात्रा के दौरान लाखों शिव भक्त दूर-दूर से गंगा जल लेकर भोलेनाथ को चढ़ाने आते हैं। इस धार्मिक उल्लास के बीच एक गंभीर संदेश देते हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी जी महाराज ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे क्विंटलो के हिसाब से जल ढोने की होड़ में न लगें।

महाराज ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “यह आस्था का विषय है, कोई प्रतिस्पर्धा नहीं।“ उन्होंने अपील में कहा कि अत्यधिक मात्रा में जल उठाकर ले जाने से शिवभक्तों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। विशेषकर युवा और किशोर कांवड़ियों को यह समझना जरूरी है कि शिव भक्ति का अर्थ आत्मा की शुद्धता और श्रद्धा से है, न कि बाहुबल के प्रदर्शन से।

उन्होंने कहा, “शिव तो एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं, बशर्ते वह श्रद्धा और सच्चे मन से अर्पित किया गया हो।”

हरिद्वार में कांवड़ यात्रा के दौरान अक्सर यह देखा जाता है कि कई शिव भक्त बड़े-बड़े टैंकरों और क्विंटलो में गंगाजल भरकर लंबी यात्राएं तय करते हैं। कई बार इससे थकान, डीहाइड्रेशन और चोटिल होने जैसी घटनाएं सामने आती हैं। इसी को देखते हुए महंत रवींद्र पुरी जी महाराज ने यह अपील की है।

अंत में उन्होंने सभी शिवभक्तों से अपील की कि वे आस्था को दिखावा न बनाएं, और सादगी, संयम और श्रद्धा से भगवान शिव का पूजन करें।


📌 विशेष संदेश:
“भोलेनाथ तो भक्ति के भूखे हैं, न कि भारी जलकलशों के। एक लोटा गंगाजल और सच्चा मन ही सबसे बड़ा प्रसाद है।”

By DTI