
हर्षिता।पुराणों के अनुसार, यमराज और उनकी बहन यमुना से इस पर्व की उत्पत्ति जुड़ी है। कहा जाता है कि यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने उनका बड़े प्रेम से स्वागत किया, आरती उतारी, टीका लगाया और भोजन कराया। प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन से वरदान मांगा, तो यमुना ने कहा —

“आज के दिन जो बहन अपने भाई को तिलक करे, उसकी दीर्घायु हो और यमराज का भय न रहे।”
तब से यह परंपरा चली आ रही है कि भैया दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की आरती कर, तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
🔹 मुख्य मान्यताएं और परंपराएं:
- बहन अपने भाई को आरती, तिलक और मिठाई देती है।
- भाई बहन को उपहार या आशीर्वाद देता है।
- यह दिन यम और यमुना की भेंट की याद में मनाया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि इस दिन यमुना स्नान और भाई के तिलक से यमराज का भय नहीं रहता।
संक्षेप में —
भैया दूज प्रेम, आशीर्वाद और रक्षा का पर्व है, जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी गहरा बनाता है।
