नोएडा,डीटी आई न्यूज़।नोएडा के सेक्टर 93ए में आज आसमान छूती दो इमारतें मिट्टी में मिल जाएंगी। ट्विन टावर पर देशभर की निगाहें हैं। सब इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कैसे कुतुब मीनार से भी ऊंचे टावर महज कुछ सेकेंड में धूल और मलबे में बदल जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अरबों की लागत से बने ट्विन टावर को क्यों ध्वस्त किया जा रहा है? आखिर ऐसी क्या गलती हो गई? आइए हम आपको पूरी बात बताते हैं।
रविवार को दोपहर ढाई बजे जब ट्विन टावर में जब धमाका होगा तो यह उन सैकड़ों फ्लैट खरीदारों के जीत की गूंज होगी, जिन्होंने चंदा करके 10 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी और भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी गगनचुंबी इमारत को जमीन पर ला दिया। ट्विन टावर को बनाने में सुपरटेक ने 200 करोड़ रुपए खर्च किए थे और 800 करोड़ रुपए की आमदनी की उम्मीद थी।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में बिल्डर को दोषी पाया और फ्लैट खरीदारों के हक में फैसला दिया। ट्विन टावर के निर्माण में नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों का उल्लंघन किया गया। सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में जब लोगों ने फ्लैट खरीदा तो ट्विन टावर के स्थान पर ग्रीन एरिया का वादा किया गया था। सुविधाओं को देखते हुए खरीदारों ने एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट में फ्लैट बुक कराए। लेकिन बाद में बिल्डर ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से साठगांठ करके यहां ट्विन टावर खड़े कर दिए। नियमों के तहत टावर के बीच की दूरी 16 मीटर होनी चाहिए, लेकिन यहां पर सिर्फ 9 मीटर छोड़ी गई। यहां ट्विन टावर का निर्माण शुरू होने पर खरीदारों को धोखे का अहसास हुआ और उन्होंने कोर्ट का रुख किया।