हरिद्वार, हर्षिता।असली और नकली दवा की पहचान कर पाना मुश्किल है। लेकिन जल्दी ही आपकी यह समस्या दूर होने वाली है। सरकार एक ट्रैक एंड ट्रेस मैकेनिज्म (Track and Trace Mechanism) पर काम कर रही है जिससे नकली और घटिया दवाओं के इस्तेमाल को रोका जा सकेगा। इसके लिए दवाओं की प्राइमरी पैकेजिंग लेबल्स पर बारकोड या क्यूआर कोड (QR code) होगा। इससे आप आसानी से पता कर सकेंगे कि दवा असली है या नकली। साथ ही इससे दवाओं की क्वालिटी सुनिश्चित की जा सकेगी। सूत्रों के मुताबिक पहले चरण में सबसे ज्यादा बिकने वाली 300 दवाओं को इसके दायरे में लाया जाएगा। प्राइमरी का मतलब फर्स्ट लेवल प्रॉडक्ट पैकेजिंग यानी बॉटल, कैन, जार या ट्यूब से है जिसमें बिकने वाला आइटम होता है।
यह कोड लगाना अनिवार्य होगा
भारत के ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया ने फार्मा कंपनियों को सख्त आदेश दिए हैं कि दवा कंपनियों को अपनी दवाओं पर क्यूआर कोड या बार कोड लगाए। यह कोड लगाना अनिवार्य है। जिसे स्कैन कर कोई भी उपयोगकर्ता दवा की मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट आदि के बारे में जानकारी ले सकेगा।
नकली दवाओं के कारोबार पर लगाम लगाने का प्रयास
केंद्र सरकार ने देश में बढ़ रहे नकली दवाओं के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए और इनको रोकने के लिए ये कदम उठाया है। दरअसल केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर 2022 में ऐसा कदम उठाने की जानकारी दी थी।इस बारे जब हरिद्वार ड्रग इंस्पेक्टर अनिता भर्ती से संपर्क करने पर बताया कि ज्यादातर दवाओं पर QR कोड सिस्टम लागू किया है ।
ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 में संशोधन
कुछ समय पहले इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया था और 1 अगस्त 2023 से इसे लागू कर दिया गया है। इसे लागू करने के लिए सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 में संशोधन किया है और इसके जरिए दवा कंपनियों को अपने ब्रांड पर H2/QR लगाना अनिवार्य कर दिया है।
कौन कौन सी दवाओं पर होगा क्यूआर कोड
300 दवाओं के ब्रांड में एलिग्रा, शेलकेल, काल्पोल, डोलो और मेफ्टेल जैसी दवाओं के नाम शामिल है। DCGI ने दवा कंपनियों को निर्देश गिया है कि कोड या क्यूआर कोड को लगाने से चुके तो ना सिर्फ़ जुर्माना बल्कि पेनल्टी के दौर से भी गुजरना पड़ेगा ।
आख़िर क्या पता चलेगा QRसे ?
यूनिक प्रोडेक्ट आइडेंटिफिकेशन कोड के जरिए दवा का प्रॉपर और जेनरिक नाम, ब्रांड का नाम, मैन्यूफैक्चर्रर का नाम और पता, बैच नंबर, मैन्यूफैक्चरिंग की तारीख, दवा की एक्सपायरी की तारीख और मैन्यूफैक्चर्रर का लाइसेंस नंबर सब कुछ पता चलेगा।