दिव्या टाइम्स इंडिया । दशहरे के दिन रावण का दहन कर विजयादशमी के पर्व को लोग बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं। लेकिन क्या आपको जानते हैं, देश में ऐसी भी कुछ जगह हैं, जहां दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता बल्कि उसकी पूजा की जाती है। आज हम आपको ऐसी ही कुछ जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दशहरे दिन रावण की पूजा की जाती है।
1,हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में रावण का दहन नहीं किया जाता है। वहां के लोगों का मानना हैं कि रावण ने भगवान शंकर को बैजनाथ कांगड़ा में ही अपनी कठिन तपस्या से प्रसन्न किया था और तब से लेकर अब तक वहां के लोग रावण को शिव का परम भक्त मानकर उसकी पूजा करते हैं।
- जोधपुर के मौदगिल में रावण को ब्राह्मण समाज का वंशज माना जाता है। इसी वजह से वहां के लोग रावण का दहन करने की बजाय उसकी पूजा कर उसकी आत्मा की शांति के लिए पिंडदान भी करते हैं।
- उत्तर प्रदेश के बिसरख में रावण का दहन नहीं किया जाता बल्कि वहां रावण और रावण के पिता ऋषि विश्वा की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रावण का जन्म उत्तर प्रदेश के बिसरख में हुआ था। उस जगह का नाम ऋषि विश्रा के नाम पर ही इसी विश्रा के
- हुआ था। उस जगह का नाम ऋषि विश्वा के नाम पर ही इसी विश्वा के नाम पर बिसरख पड़ा।
- महाराष्ट्र के एक गांव गढ़चिरौली में भी लोग रावणका दहन करने की जगह उसकी पूजा करते है। कहा जाता है कि रावण देवताओं का पुत्र था और उसने अपने जीवन में कोई भी गलत काम नहीं किया।