एजेंसी: साइबर अपराधों में इन दिनों ‘डीपफेक’ चर्चा में है। AI यानी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की मदद से कभी आपकी या आपके करीबी की हूबहू आवाज, फोटो, विडियो के जरिए मनचाहे अपराध को अंजाम दिया जा सकता है। पिछले महीने एक्टर रश्मिका मंदाना के डीपफेक विडियो से जानी-मानी सेलिब्रिटी तक दंग रह गईं। हाल ही में यूपी पुलिस के सीनियर आईपीएस अफसर प्रेम प्रकाश का एक्सटॉर्शन के लिए फेक विडियो वायरल हुआ। …एप्प.? का जितना दायरा दुनियाभर में फैल रहा है, उससे ज्यादा चुनौतियां और उससे जुड़े खतरे बढ़ रहे हैं। जाने-माने साइबर एक्सपर्ट डॉ रक्षित टंडन व IFSO डीसीपी हेमंत तिवारी ने सभी संभावित खतरों और बचाव के तरीकों को साझा किया। हरिद्वार के खानपुर विधायक उमेश कुमार ने भी डी फेक से कथित वीडियो बनाने का आरोप लगाया था ।

डीपफेक क्या है?

डॉ रक्षित टंडन के मुताबिक, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के टूल के जरिए 3डी एनीमेशन सॉफ्टवेयर फोटो, विडियो, ऑडियो को थोड़े से इनपुट के साथ हूबहू क्रिएट कर सकता है। उनके सॉफ्टवेयर काम करते हैं। जब एक एप्प लोगों की हूबहू डुप्लिकेट बना सकता है तो जिनका मकसद है दूसरों को धोखा देना या बदनाम कर डीपफेक के लिए फेस-स्वेपिंग की जाती है। डिकोडर असली नकली की पहचान कर उसमें कन्वर्ट करता है। इससे मिलता-जुलता चेहरा बनाया जा सकता है। प्रीपैकेज्ड फेस-स्वैपिंग प्रोग्राम, वॉयस क्लोनिंग ऐप जैसी इमेज जेनरेट तकनीकी हर दिन तेजी से बढ़ रही हैं।

सावधानी के टिप्स

  • सोशल मीडिया पर पर्सनल फोटो विडियो शेयर करने से बचें।
  • सेटिंग में जाकर अपने जानकारों को ही फोटो और विडियो के लिए एलाऊ करें।
  • पासवर्ड हमेशा से स्ट्रॉन्ग रखें, उससे फोटो और विडियो को सुरक्षित रखा जा सकता है।
पांच साल तक की सजा का प्रावधान

डॉ रक्षित टंडन के मुताबिक, बीते दिनों भारत में ‘डीपफेक’ और ..app.? की मदद से साइबर अपराध के कई मामले सामने आने पर दिल्ली समेत राज्यों की पुलिस और सेंट्रल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का मंत्रालय हैरान है। डीपफेक और app उनके लिए बड़ा खतरा है, जो सोशल मीडिया पर न सिर्फ एक्टिव हैं, बल्कि निजी जानकारियां, विडियो, फोटो शेयर करते हैं। अगर आप किसी का इंपर्सनेशन करते हैं तो आईटी एक्ट 66D में 3 साल की जेल है। अगर आप किसी के बॉडी के प्राइवेट पार्ट की गलत तस्वीर बनाते हैं तो 66E के तहत पांच साल तक की जेल का प्रावधान है। बीते दिनों यूपी के आईपीएस प्रेम प्रकाश का जो विडियो डीपफेक बताकर वायरल हो रहा है। असल में वो डीपफेक नहीं। बल्कि किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के विडियो में उनकी वॉयस को म्यूट कर अलग से ऑडियो मिक्स किया गया है।

डीसीपी हेमंत तिवारी का कहना है कि डीपफेक हो या मॉर्फ करने के केस। ऐसे अपराध से बचने का आसान उपाय है कि आप सोशल मीडिया में जितने भी अकाउंट पर हैं, उनकी प्राइवेसी सेटिंग्स को स्टडी करें। उसमें आप सुनिश्चित कर लें कि किन किन को आप फोटो, विडियो या कंटेंट दिखाना चाहते हैं। वैसी ही सेटिंग आप करें। आप सावधानी से सोशल मीडिया यूज करें।

By DTI