नई दिल्ली,डीटी आई न्यूज़।कोरोना महामारी की दूसरी लहर से पूरा देश बेहाल है। महामारी की चपेट से हर दूसरा शख्स परेशान है। ऐसे में केंद्र व राज्य सरकारें कोरोना से जान गंवाने वालों के परिजनों को आर्थिक मदद का एलान कर चुकी हैं। वहीं, अनाथ बच्चों को भी मुआवजा देने की घोषणा की गई है। हालांकि, कई राज्यों में जारी किए जा रहे मृत्यु प्रमाण-पत्रों पर मौत की वजह कोरोना नहीं लिखी जा रही। ऐसे में पीड़ित परेशान हैं कि उन्हें मुआवजा कैसे मिलेगा? गौर करने वाली बात यह है कि आम लोगों के लिए मदद कुछ ही राज्यों में दी जा रही है, जबकि अधिकतर राज्यों में फ्रंटलाइन वर्कर्स को ही मुआवजा देने का एलान किया गया।

इस रिपोर्ट में हम आपको बताते हैं कि अब तक किन-किन राज्यों ने आम लोगों को आर्थिक मदद का एलान किया और वहां इसे हासिल करने के लिए किस कदर परेशानी हो रही है।
मध्य प्रदेश सरकार कोरोना से मौत होने पर पीड़ित परिवार को एक लाख रुपये मुआवजा देने का एलान कर चुकी है। सरकारी कर्मचारियों की मौत पर यह रकम 5 लाख रुपये है।भोपाल के सांख्यिकी विभाग के रजिस्ट्रार अभिषेक सिंह ने आदेश जारी किया कि मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण नहीं लिखा जाएगा। उनका तर्क है कि मौत का कारण डॉक्टर ही बता सकता है।

ऐसे में विभाग कारण नहीं लिख सकता। ऐसे में उन लोगों को दिक्कत होना तय है, जिनके परिजनों ने कोरोना से जान गंवाई। सरकार से मुआवजा लेने के लिए उन्हें यह साबित करना मुश्किल होगा कि मौत कोरोना से ही हुई है।

यही हाल दूसरे राज्यों में भी है दिल्ली में सीएम अरविंद केजरीवाल ने उन मृतकों के परिजनों को 5 लाख तक का मुआवजा देने का एलान किया है, जिनकी मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई। इसके लिए छह सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो मुआवजे की राशि तय करेगी।दिल्ली में भी मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत की वजह नहीं लिखी जा रही है। 
इसी तरह उ.प.में भी घोषणा तो की गई पर यहां भी मृत्यु प्रमाण पत्र पर करोना से मौत का कारण ही नहीं
छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल ने कोरोना से दिवंगत हुए मीडियाकर्मी के आश्रित परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद देने का एलान किया है। अहम बात यह है कि अधिकतर राज्यों में मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत की वजह नहीं लिखी जा रही है। इनमें उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी लिया संज्ञान
गौरतलब है कि मृत्यु प्रमाण पत्र में इस खामी पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी संज्ञान लिया है। अदालत ने कहा कि राज्यों में एक समान मृत्यु प्रमाण पत्र की नीति का अभाव है, जिसके चलते प्राधिकारी मृत्यु प्रमाण पत्र में मृत्यु का कारण कोविड-19 या कोरोना संक्रमण की जगह दूसरी बीमारियां लिख रहे हैं या उस कॉलम को खाली छोड़ा जा रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह संज्ञान अनाथ बच्चों के मामले में लिया। इसमें आम नागरिकों का जिक्र नहीं किया गया।

By DTI