रिखानीवाल, प्रभुपाल सिंह रावत।17 वर्ष पूर्व डबराड़ गाँव के लिए सड़क स्वीकृत हुई थी। यह कार्य तेजपाल सिंह रावत के सौजन्य से हुआ था। सत्ता बदली व्यवस्था बदली ओर सड़क निर्माण का कार्य अधूरे में रोक दिया। जो सड़क डिंड से आगे जानी थी वह कार्य रोक दिया गया।
कुंदन सिंह रावत जैसे लोगों ने पूरे 17 वर्ष लड़ाई लड़ी हर नेता के सामने।प्रस्ताव रखा तब जाकर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का दिल पसीजा ओर डबराड़ गाँव के लिए सड़क निर्माण हेतु धन आवंटित किया। मांग गाँव की सड़क गाँव की जमीन गाँव का ठेकेदार गाँव का मुंसी गाँव का नेता गाँव का दर्द गाँव का आँसू गाँव के बदहाली गाँव की अब झगड़े गाँव के।
कुछ रसूकदार लोगों ने सड़क को ऐसे तोड़ मरोड़ कर दिया कि अपने हगने के लिए सड़क बनाए दूसरे के लिए ढाकर रोड़ भी नसीब नही। सड़क मला डबराड़ से बुथानागर की तरफ मोड़ दिया। सड़क का अभिप्राय खत्म कर दिया गया। सर्वे करने वाले अंधों को ने यह नही सोचा कि सड़क क्यों बनाई जा रही हैं।
डिंड से डबराड़ के मध्य सड़क 1 बारिश नही झेल सकी बरशात सूरु होने से पूर्व सड़क नदी में मिल गई। पूरा 2 km सड़क बह कर 1km दूर सेरोगाड आगया। अब सवाल यह हैं कि जिम्मेदारी किस की है लोग ग्रामीणों को कह रहे हैं कि जब ठेकेदार सड़क बना रहा था तो आवाज क्यों नही उठाई। पर क्या जनता हर निर्माण कार्य की गुणवत्ता ही जांचती रहेगी यदि ऐसा ही करना हैं तो फिर अभियंता किस लिए हैं क्या आम लोगों को निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पता होती हैं।
बहुत लंबी लड़ाई के बाद हाथ सिर्फ मायूसी आई तो क्या लड़ाई लड़ी गई। गाँव पलायन हो चुका हैं। गाँव में शिक्षा चिकित्सा का अभाव हैं। चिकित्सा केन्द्र में कर्मचारी ठहरने को तैयार नही अध्यापकों के लिए स्कूल जाना टेड़ी खीर बनी हुई हैं। 3 km पर बिखरे गाँव की स्थिति बहुत दयनीय हैं। सड़क का ढांचा तैयार भी नही हुआ कि धराशाही हो गया। कौन जिम्मेदार हैं किस की खामी हैं यह जांच का विषय हैं पर ग्रामीणों को राहत कब मिलेगी कसूरवार को सजा कब मिलेगी यह समय की गर्त में हैं।