देहरादून डीटीआई न्यूज़।चारधाम यात्रा के हाल कुंभ जैसे न हों। कुंभ में बिना धरातल की हकीकत जाने एक दिन पहले एसओपी जारी की गई। इससे कोरेाना फैला। ये बात बुधवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कही। प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और चारधाम यात्रा के संबंध में दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अफसरों के रवैए पर भी नाराजगी जताई। कहा कि, अधिकारी बिना तैयारियों के अंतिम समय में निर्णय ले रहे हैं। इससे उत्तराखंड की छवि खराब हो रही है। अदालत ने कि 21 जून तक चारधाम की नई एसओपी जारी कर सभी रिकॉर्ड के साथ नया शपथपत्र पेश करने को कहा है।

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मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान और आलोक वर्मा की खण्डपीठ ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई में पर्यटन सचिव दिलीप जवालकर ने चारधाम यात्रा के संबंध में शपथपत्र पेश किया। खंडपीठ इससे संतुष्ट नहीं हुई। सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखा कि सरकार कोरोना कफ्र्यू में 22 जून तक चारधाम यात्रा शुरू नहीं कर रही है। इससे पहले याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि बीते साल चारधाम में तीन लाख 10 हजार 568 श्रद्धालु दर्शन को गए थे। इस वर्ष कोविड की दूसरी लहर काफी भयावह रही है। ऐसे में सरकार को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का ध्यान रखने की जरूरत है, जिससे तीर्थयात्रा के जरिए फिर कोरोना न फैले।चारधाम यात्रा में तिथि आगे बढ़ाने की मांग पर भी खंडपीठ ने नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि सुनवाई 23 जून को होगी। इस सुनवाई में मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव और पर्यटन सचिव से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के निर्देश दिए गए हैं। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर की ओर से 23 जून को आवश्यकीय कार्य के चलते गैर मौजूदगी पर कोर्ट ने कहा कि अपनी जगह एडिशनल को भेजें।

By DTI