हरिद्वार/देहरादून, हर्षिता।उत्तराखंड के आपदा संभावित क्षेत्रों में आज भी ‘सीटी’ एक बड़ा अलर्ट सिस्टम बनकर सामने आ रही है। राज्य के अधिकतर पर्वतीय गांवों में जब कोई आपदा आती है या कोई खतरा सामने होता है, तो वहां के ग्रामीण सीटी बजाकर एक-दूसरे को सतर्क करते हैं। ऐसी ही एक कोशिश उत्तरकाशी जिले के धराली कस्बे में भी हुई, जहां बीते दिन आपदा से पहले लोगों को सीटी के माध्यम से सावधान किया गया।
लेकिन तेज़ बारिश, बोल्डर और मलबे के शोर में चेतावनी की वह सीटी दबकर रह गई, और धराली की कई ज़िंदगियां मलबे के नीचे दफन हो गईं।
📌 धराली में क्या हुआ?
उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में भारी बारिश के चलते खीरगंगा नाले में उफान आ गया, जिससे भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर बहकर कस्बे में घुस आए। कई घर इसकी चपेट में आ गए।
👉 अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
👉 20 से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया गया है।
👉 कई लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं।
🆘 रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
घटनास्थल पर सेना, NDRF, SDRF और स्थानीय पुलिस द्वारा राहत एवं बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है। लेकिन भारी दलदल और टूटे रास्तों की वजह से रेस्क्यू कार्य में बाधाएं आ रही हैं।
🔊 सीटी: एक साधारण औज़ार, बड़ा अलार्म
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में जहां मोबाइल नेटवर्क और साइरन सिस्टम हर गांव तक नहीं पहुंच पाते, वहां सीटी एक लो-टेक लेकिन हाई-इम्पैक्ट चेतावनी साधन बन चुकी है।
👉 जंगली जानवरों के आने से लेकर भूस्खलन, बादल फटने या अन्य आपदाओं की स्थिति में ग्रामीण एक-दूसरे को सीटी बजाकर अलर्ट करते हैं।
📽️ वीडियो बना, चेतावनी दी, पर…
धराली से सामने आए वीडियो में साफ दिख रहा है कि कुछ लोग घटना को रिकॉर्ड कर रहे थे, जबकि अन्य लोग सीटी बजाकर गांववालों को सावधान कर रहे थे। लेकिन कुछ ही क्षणों में तबाही ने सब कुछ खत्म कर दिया।
⚠️ प्रशासन की अपील
प्रशासन ने सभी गांवों को अलर्ट पर रखा है और कहा है कि ग्रामीण सीटी, डुगडुगी, मुनादी जैसे परंपरागत तरीकों को भी मजबूत बनाए रखें, ताकि आपदा की स्थिति में सूचना तेज़ी से फैल सके।
📢 अपील:
कृपया अफवाहों से बचें, प्रशासन द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करें और नदी किनारे, ढलान वाले स्थानों से दूर रहें।