पिथौरागढ़: दिव्या टाइम्स इंडिया। सीमांत पिथौरागढ़ जिले की 7 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म और हत्या मामले में मुख्य आरोपी के बरी होने पर लोगों में भारी आक्रोश है. आरोपी सुप्रीम कोर्ट से बरी हो गया है. जिससे 11 सालों से न्याय का इंतजार कर रहे मासूम के परिजनों को गहरा झटका लगा है. वहीं, अब मामले को लेकर परिजनों के साथ लोगों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है. आज मासूम के न्याय के लिए जन सैलाब सडकों पर उतरा.
सडकों पर उतरा जन सैलाब: मासूम केस के मुख्य आरोपी के सुप्रीम कोर्ट से बरी हो जाने के बाद पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय में आक्रोश फैल गया है. मासूम को न्याय दिलाने के पिथौरागढ़ नगर की जनता सड़कों पर उतरी. मातृशक्ति, विद्यालयों के बच्चे, आम जन मानस रामलीला मैदान में एकत्रित हुए. इस दौरान ‘दोषी कौन, मासूम को न्याय दो’ के नारे गूंजे. कमजोर पैरवी के लिए प्रदेश सरकार की खिलाफ रोष देखने को मिला.
परिजनों ने राज्य सरकार पर लगाया कमजोर पैरवी का आरोप: मासूम के परिजनों ने प्रेस वार्ता कर कहा कि मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और उस पर फैसला भी आ गया, लेकिन उन्हें भनक तक नहीं लगी. उन्होंने प्रदेश सरकार पर कमजोर पैरवी का आरोप लगाते हुए कहा कि पॉक्सो कोर्ट और हाईकोर्ट में दोष सिद्ध होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट से न्याय नहीं मिला.
बेटी की गुनहगारों को मिले फांसी: पीड़ित परिवार ने गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि ‘बेटी बचाओ’ के नारे अब खोखले साबित हो रहे हैं. परिजनों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की जाए और आरोपियों को कठोरतम सजा दिलाई जाए. परिजनों ने दोहराया कि उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि बेटी के गुनहगारों को फांसी की सजा दी जाए.
इस मामले पर विभिन्न संगठनों ने भी आक्रोश जताया है. अब परिजनों ने जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजने की बात कही है. इधर, आरोपी को बरी करने पर पूरे सीमांत जिले पिथौरागढ़ में जनता के भीतर आक्रोश व्याप्त है. विभिन्न संगठनों लोगों ने प्रदेश सरकार की कड़ी निंदा करते हुए पिथौरागढ़ नगर में मौन स्वरूप विरोध जताया.
सिमलगैर बाजार में सीमांत यूथ मोर्चा, उत्तराखंड छात्र मोर्चा, नगर यूथ कमेटी के युवाओं ने कहा कि मासूम को जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे. उन्होंने राज्य सरकार से इस मामले में ठोस कदम उठाने की अपील की. पिथौरागढ़ की बेटी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर रामलीला ग्राउंड में विभिन्न समाजसेवी संगठन एकत्रित हुए. जहां सभी ने संकल्प लिया कि मासूम को न्याय दिलाने की हर कोशिश की जाएगी.
क्या था पूरा मामला? बता दें कि 20 नवंबर 2014 को पिथौरागढ़ की रहने वाली 7 साल की मासूम अपने परिवार के साथ हल्द्वानी के शीशमहल स्थित रामलीला ग्राउंड में एक शादी समारोह में आई थी. समारोह के दौरान वो अचानक लापता हो गई थी. जिसकी काफी तलाश की गई, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल पाया. लापता होने के 6 दिन बाद उसका शव गौला नदी से बरामद हुआ.
वहीं, जब पोस्टमॉर्टम कराया गया तो रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि बच्ची के साथ दुष्कर्म (गैंगरेप) किया गया था, फिर उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना से लोगों में भारी गुस्सा भड़क गया था. लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया. तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के काफिले पर भी गुस्साई भीड़ ने हमला कर दिया था. उस दौरान पूरे प्रदेश भर में इस घटना को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ था.
दोषियों की गिरफ्तारी और सजा: पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए कई राज्यों में तलाशी अभियान चलाया. घटना के 8 दिन बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी अख्तर अली को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया. उसकी निशानदेही पर दो और आरोपियों प्रेमपाल और जूनियर मसीह को भी पकड़ा गया. मार्च 2016 में हल्द्वानी की एडीजे स्पेशल कोर्ट ने अख्तर अली को गैंगरेप और हत्या का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई.
वहीं, प्रेमपाल को पांच साल की सजा दी गई. अक्टूबर 2019 में नैनीताल हाईकोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले को बरकरार रखा था. अब सुप्रीम कोर्ट से फैसला आया है कि आरोपी को बरी कर दिया गया है. जिसके बाद लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. उनका कहना है कि मामले में पैरवी ठीक से नहीं की गई, जिसके चलते आरोपी बरी हो गए.
सीएम धामी बोले- राज्य सरकार विधिक राय लेकर पुनर्विचार याचिका करेगी दायर: मासूम प्रकरण पर आज बीजेपी का शिष्टमंडल परिजनों से मिलने पिथौरागढ़ उनके आवास पर पहुंचा. इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दूरभाष पर मासूम के पिता से वार्ता कर आश्वस्त किया कि राज्य सरकार पूरी तरह उनके साथ खड़ी है. सीएम धामी ने बताया कि इस प्रकरण पर न्याय विभाग और सीनियर वकीलों से विधिक राय लेते हुए मुख्यमंत्री आवास पर विस्तृत चर्चा की जाएगी. फिर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी.