प्रभुपाल सिंह रावत।अनेकों दिनों से समूचे राज्य में आशा कर्मी अपने विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। सभी आशा संगठन विगत 4 वर्षों में आठ बार धरना दे चुके हैं। आशा कर्मियों की कुछ प्रमुख मांगे जिस में सभी आशाकर्मियों को नियमित करना मुख्य मांग हैं प्रदेश सरकार ने करोना काल में आशाकर्मियों को 10 हजार मशिक भत्ता देने की घोषणा भी कोरी साबित हुई। आशाकर्मियों को फ्रंट वारियर्स का दर्जा मिला हैं।

बिना मानदेय के कैसे आप किसी नागरिक से इतना काम करा सकते हो। महिला होने के नाते मैं अपनी बहिनों के साथ अन्याय नही होने दूंगी ओर यदि 2022 में हमारी सरकार आती हैं तो सभी आशाकर्मियों को नियम करने मानदेय देने व सभी कर्मचारी भत्ता देने की में बात करती हूँ। धरना स्थल पर कोंग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष प्रमोद रावत जी मौजूद रहे जिन्होंने सभी महिलाओं को समर्थन की बात रखी और ब्लॉक से बाहर यदि महिलाओं को समर्थन देने जाना पड़े उस के लिए अपनी पूरी समर्थता व्यक्त की।

धीरे धीरे यह आंदोलन उग्र रूप ले रहा हैं जिस के जल्द खत्म होने के कोई आसार नही हैं प्रदेश भर में अनेकों आशाकर्मी धरना दे रही हैं जिस का सीधा असर 2022 के विधानसभा चुनाव पड़ पड़ेगा। रिखणीखाल की आशाकर्मियों को अपना समर्थन देने ज्योति रौतेला आज रिखणीखाल आई उन्होंने सभी आशा बहिनो को अस्वस्थ किया कि प्रदेश सरकार तक आप की मांग में पहुँचाऊंगी ओर यदि इस के लिए विधानसभा घिराव भी करना पड़े तो मैं अपनी आशा बहिनों के साथ हूँ ज्योति जी कहती हैं कि कोंग्रेस राज में आशाकर्मियों को नोकरी मिली थी तब इस तरह की कोई शर्तें नही थी सिर्फ जच्चा बच्चा की ही जिम्मेदारी आशाकर्मियों पर थी किन्तु आज हमारी मातृशक्ति को शोषण हो रहा हैं उन का कहना था कि दुनिया के किस कानून में लिखा हैं कि कार्य का कोई मानदेय तय नही किया जाना चाहिए।

मगर आर्थिक मदद के नाम पर आजतक छला गया। आशाकर्मियों के द्वारा अनेकों वर्षों से मानदेय व नियमितीकरण की मांग उठाई जा रही हैं उन का पक्ष हैं जी जितना उन से काम कराया जाता हैं उस के अनुसार पैसा नही मिल रहा। राज्य सरकार पर आरोप हैं कि समय पर बिल पास नही किये जाते। ब्लॉक चिकित्सा मुख्यालय में सभी कार्यों हेतु आशाकर्मियों को बाध्य किया जाता हैं किंतु मानदेय के लिए महीनों तक टालमटोल चलता हैं।

By DTI