नई दिल्ली, डीटी आई न्यूज़।कांग्रेस में 20 साल बाद गांधी परिवार के हाथ से एक बार फिर अध्यक्ष का पद दूर हो जाएगा क्योंकि पार्टी द्वारा आंतरिक चुनाव कराते हुए अध्यक्ष चुना जाना है और इस समय जो तस्वीर सामने आ रही है उसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व केरल के सांसद शशि थरूर के बीच मुकाबला तय होना माना जा रहा है पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि इसके जरिए कांग्रेस पर पार्टी पर कब्जे का दाग हट जाएगा। यह भी माना जा रहा है बेशक गांधी परिवार कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं होगा लेकिन वह आरएसएस की तरह बैक डोर से कांग्रेस को चलाएंगे।
वैसे पार्टी में यह भी सुगबुगाहट है की गैर गांधी पार्टी अध्यक्ष होने से पार्टी में 2 पावर सेंटर हो सकते हैं क्योंकि अशोक गहलोत के कद के बराबर कई नेता है जो शायरी अशोक गहलोत को स्वीकार करें ऐसे नेताओं की आस्था गांधी परिवार से जुड़ी हुई है उनके लिए इस स्थिति में नया जो भी कांग्रेस अध्यक्ष बनेगा उसको स्वीकार करना मुश्किल होगा वैसे अगर कांग्रेस के चुनाव की बात करें तो अगर अशोक गहलोत और शशि थरूर दोनों ही आखिर तक चुनाव मैदान में रहते हैं तो निश्चित तौर पर अशोक गहलोत का पलड़ा भारी है।
कांग्रेस लगातार दो बार चुनाव हार चुकी है और कई बड़े राज्य में भी कांग्रेस की हार हुई है अगर 2024 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार होती है तो निश्चित तौर पर इसकी जिम्मेवारी पार्टी अध्यक्ष की होगी और अगर पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया तो इसका शरीर गांधी परिवार को ही जाएगा अगर चुनाव कांग्रेस पार्टी हार जाती है तो जिम्मेवारी कांग्रेस अध्यक्ष की होगी।
दूसरी तरफ कांग्रेस के युवा चेहरे कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं ऐसे में ही सबसे बड़ा नाम युवा चेहरे के तौर पर राजेश पायलट का नाम सबसे बड़े चेहरे के तौर पर सामने आता है अगर अशोक गहलोत कांग्रेस के हैं अध्यक्ष बनते हैं तो सचिन पायलट को राजस्थान की कमान भी मिल सकती है जो वह कई वर्षों से प्रयास कर रहे हैं ।
दूसरी तरफ कांग्रेस का चुनाव कराने का मकसद भाजपा को मुद्दा वहींन करना है क्योंकि सबसे ज्यादा हमला भाजपा द्वारा यही कहा जाता है कि यह गांधी परिवार की पार्टी है गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष बनने से सोनिया राहुल वह प्रियंका गांधी के ऊपर से यह दाग हट जाएगा और वह पार्टी को बैक डोर से चलाएंगे यह भी बताने वाली बात है कि कांग्रेस पार्टी ऐसी पहली पार्टी है जिसमें आंतरिक चुनाव कराए जा रहे हैं इससे पहले लेफ्ट फ्रंट पार्टियों द्वारा ही चुनाव प्रक्रिया का पालन किया जाता है भाजपा द्वारा आज तक कभी भी अंतरिम चुनाव नहीं हुए जबकि कांग्रेस अंतरिम चुनाव करा रही है कांग्रेस नेताओं का बड़ा भाजपा पर बड़ा हमला यही रहेगा कि वह भी चुनाव के जरिए प्रधानमंत्री पद और अध्यक्ष पद का चुनाव कराएं बहरहाल यह तो अब आने वाले समय में पता चलेगा कि भाजपा अपनी रणनीति में कामयाब होती है या कांग्रेस भाजपा पर आने वाले दिनों में चुनाव के बाद क्या हमलावर रुख अपनाती है