बहुत से लोगों की नींद अचानक रात 3 बजे के करीब खुल जाती है। अगर आपके साथ भी हर दिन ऐसा हो रहा है तो इसके पीछे का कारण जान लीजिए। कहा जाता है कि रात को 3 से 5 बजे के बीच नींद खुलती है तो यह दैवीय शक्ति के लक्षण हैं, कोई दैवीय शक्ति आपको संदेश देना चाहती है, आपको कुछ समझाना चाहती है।
यदि आप हर दिन 3 बजे के आसपास अचानक जाग जाते हैं तो इसका मतलब है कि सृष्टि और दैवीय शक्ति चाहती है कि आप जाग जाएं और अपने इष्ट देवता की पूजा करें, आपको भगवान का जाप करना चाहिए क्योंकि कई शक्तियां आपको पाने के लिए इंतजार कर रही हैं।
सुबह 3 बजे से 4:30 बजे के बीच का समय देवताओं का समय माना जाता है। इसे ब्रह्म मुहूर्त भी कहते हैं। आचार्य संनिव के मुताबिक अगर आप रोजाना इस समय अपने आप जाग जाते हैं तो इसका मतलब है कि दैवीय शक्ति चाहती है कि आप इसी समय जागें। ऐसे में आपको कुछ देर जागकर अपने इष्टदेव की पूजा करनी चाहिए। इस समय आपकी पूजा सीधे भगवान तक पहुंचती है। समय के साथ आप इसके कारण अपने जीवन में चमत्कारी परिणाम देख सकते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त या अमृत वेला क्या है?
ब्रह्म मुहूर्त रात्रि के अंतिम प्रहर का तीसरा भाग है। धर्म शास्त्रों में निद्रा का त्याग करने का यह सर्वोत्तम समय है। ब्रह्म का अर्थ परम तत्व है। मुहूर्त अर्थात अनुकूल समय। ब्रह्म मुहूर्त को अमृत वेला भी कहा जाता है। अमृत का अर्थ है जो जीव को अमरता प्रदान करता है, और वेला का अर्थ है समय। अमृत वेला का अर्थ है चिरंजीवी बनाने या अमरता देने का समय। इस दौरान कुछ समय के लिए भी किया गया योगाभ्यास आत्मा को उस आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति कराता है, जो अमृत पीने वाले को अनुभव होता है।
अमृतवेला अर्थात् वह समय, जब भगवान स्वयं अपने भक्तों को अमृत पिलाने आते हैं और जो उस अमृत को नहीं पी पाता, उसे आनंद नहीं मिलता। अमृतवेला के समय इस आकाश में उस समय ब्रह्मांड में सकारात्मक स्पंदन बहुत तेजी से प्रवाहित होते हैं क्योंकि उस समय नकारात्मक स्पंदन सो रहे होते हैं और उस समय सकारात्मक स्पंदन जाग रहे होते हैं।
रात को 3:00 बजे क्यों नहीं उठना चाहिए? यह प्रश्न गलत है क्योंकि प्रातः 3 से 5 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त का समय होता है। जब आपका मन पूरी तरह से शांत मन से आसानी से एकाग्र हो सकता है। या इस समय आप ईश्वर से जुड़ सकते हैं या सोच सकते हैं कि अपने अच्छे विचारों को अपने जीवन में कैसे लाया जाए।
सकारात्मक स्पंदन उस समय जाग्रत हो रहे हैं, इसका क्या अर्थ है?
इसका अर्थ है कि ईश्वर की दैवीय शक्तियां चारों ओर घूम रही हैं। उस समय यदि आप भगवान का जप-ध्यान करते हैं तो उनकी कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है। रात को 3 से 5 बजे उठने का क्या मतलब है? सृष्टि चाहती है, आपका गुरु चाहता है, आपका ईश्वर चाहता है, ईश्वरीय शक्ति चाहती है कि आप जाग जाएं, आप ईश्वर को याद करें, आप ईश्वर का जाप करें क्योंकि बहुत सी शक्तियां आपका इंतजार कर रही हैं, जिन्हें आपको प्राप्त करना है।
क्या हैं ये शक्तियां?
ये शक्तियां सकारात्मक स्पंदनों से भरी हुई हैं, जो आपको निरोगी बनाएंगी, धन-धान्य से भर देंगी, भक्ति से भर देंगी, अगर आप सुबह उठकर पूजा करते हैं तो आपके शरीर में कई शक्तियों का वास होने लगता है। ये सभी संकेत दैवीय शक्ति द्वारा दिए जा रहे हैं, ये दैवीय शक्तियां दैवीय हैं। आप जो चाहते हैं, आप सुबह उठते हैं।
भगवान अपने प्यारे भक्तों और प्यार करने वालों को सुबह जगाते हैं
एक नटखट बच्चे की तरह मां उसे दुलार कर सुला देती है और सोचती है कि अगर ये ज्यादा देर सोएगा, जागेगा तो शरारत करेगा और कोई काम नहीं करने देगा। लेकिन जो मां अच्छी संतान होती है, जब बेटा उससे ऐसा या कुछ भी करने की बात करता है तो वह उसे उठा लेती है।
इसी प्रकार भगवान अपने प्रिय भक्तों और प्रिय जनों को प्रात:काल ही जगा देते हैं। आप देखेंगे कि कुछ लोगों को पूरी रात नींद नहीं आती और सुबह 4:00 बजे सो जाते हैं। सवेरा क्यों आया क्योंकि समय तो ईश्वर के ही आशिकों का ही है? यह समय भगवान के भक्तों का है। भक्त तो ऐसे होते हैं जिनको भगवान प्यार करते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से क्या फायदा होता है?
ब्रह्म मुहूर्त के समय जितना संभव हो इस समय में की गई दैवीय शक्ति, ध्यान और पूजा पर ध्यान देना निश्चित रूप से बहुत फलदायी होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर विधि-विधान से जीवन व्यतीत करते हैं उन पर सदैव दैवीय कृपा बरसती है क्योंकि ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करने से शीघ्र ही दैवीय कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि भगवान सुबह ब्रह्मांड में विचरण करते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त के समय पूरा वातावरण शांत और निर्मल होता है। इस काल में देवी-देवता विचरण कर रहे होते हैं। सत्त्वगुणों की प्रधानता होती है। प्रमुख मंदिरों के कपाट भी ब्रह्म मुहूर्त में ही खुल जाते हैं और ब्रह्म मुहूर्त में ही भगवान की पूजा-अर्चना करने का विधान है।