नई दिल्ली,ऐ एन आई न्यूज़।कोरोना वायरस को लेकर चीन शुरू से ही शक के घेरे में है। हालांकि इसके पहले तक किसी स्रोत से इस वायरस के जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल की बात सामने नहीं आई थी। ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ ने अपनी रिपोर्ट में चीन को लेकर यह खुलासा किया है। रिपोर्ट में चीन के एक रिसर्च पेपर को आधार बनाया गया है। इसमें कहा गया है कि चीन छह साल पहले से यानी 2015 से सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था। चीन की सेना 2015 से ही कोविड-19 वायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की साजिश रच रही थी।
तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा
शोध पत्र ‘सार्स और जैविक हथियार के रूप में मानव निर्मित अन्य वायरसों की प्रजातियों की अप्राकृतिक उत्पत्ति’ में दावा किया गया है कि तीसरा विश्व युद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा। इस दस्तावेज में यह भी रस्योद्घाटन किया गया है कि चीनी सैन्य वैज्ञानिक पांच साल पहले ही सार्स कोरोना वायरस का हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने के बारे में विचार कर चुके थे। ‘द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन’ की यह रिपोर्ट news.com.au. में प्रकाशित की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सैन्य वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी चर्चा की थी कि सार्स वायरस में हेरफेर करके इसे महामारी के तौर पर कैसे बदला जा सकता है।
चमगादड़ से नहीं फैल सकता वायरस
ऑस्ट्रेलियाई साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट रॉबर्ट पॉटर ने बताया कि ये वायरस किसी चमगादड़ से नहीं फैल सकता। वह कहानी पूरी तरह से गलत है। चीनी शोध पत्र के गहन अध्ययन के बाद रॉबर्ट ने कहा- यह बिल्कुल सही है। इससे पता चलता है कि चीनी वैज्ञानिक क्या सोच रहे हैं।