7 अक्टूबर 2024,हर्षिता। पतंजलि विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद्, नैक (NAAC) द्वारा उच्च अंकों के साथ A+ ग्रेड मिला है। पतंजलि विश्वविद्यालय को प्राप्त पेड पॉइंट, राष्ट्रीय स्तर पर योग विश्वविद्यालयों में सर्वाधिक हैं।

नैक द्वारा मूल्यांकन का परिणाम घोषित होने के पश्चात आज विश्वविद्यालय के अधिकारियों, शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कार्मयोगियों को सम्बोधित करते हुए, विश्वविद्यालय के कुलाधिपति परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत को समृद्ध रुप से आत्मनिर्भर राष्ट्र के रुप में विकसित करने हेतु सक्षम युवा शक्ति को गढ़ना है और यह तभी सम्भव है जब युवाओं का व्यक्तित्व योगमूलक हो और सभी आयामों में सामर्थ्य के साथ-साथ एक सुदृढ़ चरित्र एवं व्यक्तित्व का विकास हो। यह कहते हुए कि आज की शिक्षा अधिकाधिक नौकरी केन्द्रित हो गई है, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पतंजलि विश्वविद्यालय का उ‌द्देश्य युवाओं में जीवन और समाज के हर क्षेत्र में नेतृत्व परक गुणों का विकास करना है। उन्होंने आगे कहा कि आज पूरे विश्व को ऐसी युवा शक्ति की आवश्यकता है जिसको अपने अतीत का समग्र बोध हो, जिसमें वर्तमान की चुनौतियों का समाधान करने का सामर्थ्य हो और जो भविष्य की संभावित चुनौतियों का प्रामाणिक आंकलन कर सके। उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया कि पतंजलि विश्वविद्यालय की समस्त शैक्षणिक गतिविधियों का उद्देश्य ऐसे युवाओं को शिक्षित करना है जो राष्ट्र को नई दिशा प्रदान करने के साथ ही वैश्विक धरातल पर भी पूरी मानवता का नेतृत्व कर सकें।

परम पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने जोर देकर कहा कि समाज की विभिन्न संस्थायें विशिष्ट क्षेत्रों में क्षमता संवर्धन कर सकती हैं लेकिन समग्र रुप से राष्ट्रीय एवं वैश्विक परिस्थिति का नेतृत्व करने का कार्य शिक्षा व्यवस्था के गर्भ से ही हो सकता है, और इसका प्रमाण पतंजलि विश्वविद्यालय है। उन्होंने बताया कि योग, आयुर्वेद एवं स्वदेशी के सफल आन्दोलन के पश्चात् युवाओं के मानस को सम्यक रुप से गढ़ने का कार्य पतंजलि विश्वविद्यालय और पतंजलि संस्थाओं द्वारा हो रहा है, और गुरुकुल, आचार्यकुलम् एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के माध्यम से भारतीय दृष्टि से वैश्विक नेतृत्व का सामर्थ्य रखने वाले युवा मानस को सिंचित किया जा रहा है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि विगत 20 वर्षों की अपनी यात्रा में पतंजलि विश्वविद्यालय ने योगविद्या के क्षेत्र में वैश्विक प्रतिमानों को स्थापित किया है।

परम पूज्य स्वामी जी ने कहा कि पतंजलि विश्वविद्यालय का उद्देश्य प्राचीन वैदिक ज्ञान एवं आधुनिक विज्ञान का एकीकरण एवं समन्वय है, और यहाँ युवा शक्ति की जीवन शैली, विज्ञान एवं आध्यात्म के समन्वय से आप्लावित है जिससे भारत की समग्र प्राचीन ज्ञान परम्परा एवं संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन हो सके। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युवाओं को खण्ड-खण्ड नहीं बल्कि अखण्ड मारत का बोध हो. उन्हें भारत का समूची सांस्कृतिक यात्रा एवं सामूहिक प्रज्ञा की समझ हो।

इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने अपने सम्बोधन में प्रमुखता से कहा कि चूंकि पतंजलि विश्वविद्यालय विशिष्ट उद्देश्य से गठित किया गया है अतः विश्वविद्यालय से जुड़े सभी कर्मयोगी सदस्यों को, स्वयं को, मानको के अनुरुप स्थापित करना होगा। किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति को अन्तिम नहीं मानना चाहिए बल्कि उसके संवर्धन के लिए निरन्तर प्रयास आवश्यक है।

इसी श्रंखला में, भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष डा० एन० पी० सिंह, आई०ए०एस० (सेवानिवृत) ने कहा कि आज के वैश्विक मानकों में उच्च शिक्षा संस्थानों का लक्ष्य है कि ऐसे युवा व्यक्तित्व का विकास किया जाए जो एक उत्तरादायी तथा उत्पादक शक्तियों के नागरिक के रुप से परिपूर्ण हो और राष्ट्र एवं विश्व के लिए उपयोगी हो। पतंजलि विश्वविद्यालय वैश्विक मानकों पर आदर्शतम व्यक्तित्व गढ़ने में उच्च शिक्षा संस्थान है।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डा० श्रीनिवास वरखेडी जी ने कहा कि यद्यपि पतंजलि विश्वविद्यालय वास्तव में NAAC की A++ की अहर्ता रखता है, चूंकि प्रथम मूल्यांकन में सामान्यतः थोड़ी न्यूनता रखकर ही मूल्यांकन किया जाता है, अतः पतंजलि विश्वविद्यालय को NAAC की A+ श्रेणी मिली है।

By DTI