हरिद्वार गगन नामदेव ।हरिद्वार विधानसभा के संपन्न हुए 2022 के चुनाव में अभी तक परिणाम को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे उसमें कई बड़े राजनीतिक पंडितों का पूर्वानुमान ध्वस्त होता दिखाई दिया और कांग्रेस का 20 सालों का वनवास समाप्त नहीं हो पाया एक ओर जहां जीत हार का अंतर बहुत नजदीकी बताया जा रहा था कांटे की टक्कर बताई जा रही थी वही भीतर घात और 20 साल की एंटी इनकंबेंसी और नशे जैसे नीरस मुद्दे को आधार बनाकर मदन कौशिक की सीट को खतरे में बताया जा रहा था कुछ राजनीतिक दल नशे को भी प्रमुख मुद्दा बना रहे थे जिसे जनता ने पूरी तरह नकार दिया कुछ पुराने परंपरागत मदन विरोधी लोग भी इस बार उनके पिछड़ने को लेकर बहुत आश्वस्त थे ! और कांग्रेस की जीत को लेकर पूर्ण आश्वस्त थे ! हालांकि सूत्रों से जानकारी मिली है की भाजपा की विचार परिवार के कनखल की उस टोली के कुछ प्रमुख युवाओ को संघ से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और कनखल निवासी अर्पित अग्रवाल को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कनखल का नया मंडल कार्यवाह नियुक्त गया है हालांकि मदन विरोधी कनखल की उस टोली ने एक नए नाम से अपने एक संगठन का गठन किया है जिसमें कांग्रेस के भी कुछ प्रमुख चेहरे एवं पूर्व दिवंगत काबीना मंत्री के नजदीकी लोग भी उनके साथ धरने, प्रदर्शनों में शामिल रहते हैं हालांकि संघ की ओर से अधिकृत रूप से हरिद्वार विधानसभा के लिए नियुक्त किए गए समन्वयक जिनमें पूर्व अधिकारी डॉक्टर प्रेमचंद शास्त्री और पूर्व हरिद्वार नगर कार्यवाह सी.ए अनिल वर्मा शामिल थे जीत के बाद कई भाजपाइयों ने उनके आवास पर जाकर उनको बधाई दी और उनका आशीर्वाद लिया लेकिन कौशिक के कुशल चुनावी प्रबंधन और उनके बूथ और ब्लॉक मैनेजमेंट ने उन सारी धारणाओं को न केवल ध्वस्त किया बल्कि 15 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल करके एक बार फिर अपने कुशल चुनावी प्रबंधन का लोहा मनवाया

कौशिक के जितने कार्यकर्ता मुख्य रूप से चुनावी मैदान में दिखते थे उससे कहीं ज्यादा कार्यकर्ता पर्दे के पीछे उनके व्यक्तिगत चुनाव प्रबंधन में लगे हुए थे और यही कारण है कि कई लोग आज भी इस परिणाम पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं राजनैतिक रूप से उनके मुख्य रणनीतिकार भाजपा जिला महामंत्री और मुख्य चुनाव अभिकर्ता विकास तिवारी जहां पूरे चुनाव में मोर्चा संभाले रहे चाहे कांग्रेस पर पत्रकार वार्ता के माध्यम से आक्रमण करना हो या कांग्रेस के उदासीन मुद्दों का जवाब देना हो तिवारी हमेशा कांग्रेस पर आक्रामक रहे और चुनाव में पूरी तरह योद्धा की तरह डटे रहे वही मदन कौशिक के छोटे भाई और विधायक प्रतिनिधि मुकेश कौशिक पूरे चुनाव प्रबंधन को पर्दे के पीछे धरातल पर उतारते हुए दिखाई दिए वही चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष सुभाष चंद्र,मुख्य चुनाव संयोजक अनिल कुमार कुमार ,विधानसभा चुनाव प्रभारी नरेश धीमान ,विस्तारक नवीन झा,कार्यालय प्रभारी संजय अग्रवाल व उनकी टीम और मदन कौशिक के पुत्र आयुष कौशिक की भूमिका को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता ! जिन्होंने युवाओं में जोश भरने का निरंतर कार्य किया,
वही भीतर घात और 20 साल की एंटी इनकंबेंसी को आधार बनाकर मदन कौशिक की सीट को खतरे में बताया जा रहा था लेकिन कौशिक के कुशल चुनावी प्रबंधन और उनके बूथ, ब्लॉक मैनेजमेंट ने उन सारी धारणाओं को न केवल ध्वस्त किया बल्कि 15 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल करके एक बार फिर अपने कुशल प्रबंधन का लोहा मनवाया कौशिक के जितने कार्यकर्ता मुख्य रूप से मैदान में दिखते थे उससे कहीं ज्यादा कार्यकर्ता पर्दे के पीछे उनके व्यक्तिगत चुनाव प्रबंधन में लगे हुए थे और यही कारण है कि कई लोग आज भी इस परिणाम पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं हरिद्वार प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा कहते हैं कि हरिद्वार की जनता ने मदन कौशिक के 20 साल के विकास कार्यों पर मोहर लगाई है और सटीक चुनाव प्रबंधन में उनका कोई सानी नहीं है वहीं वरिष्ठ पत्रकार राहुल वर्मा कहते हैं मदन कौशिक लगातार पांच साल जनता के बीच रहते हैं और हर वार्डों में में अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से जन समस्या का समाधान करते हैं हरिद्वार प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर शिव शंकर जायसवाल कहते हैं मदन कौशिक ने आज हरिद्वार में विकास कार्यों की इतनी बड़ी लाइन खींची है कि जिसकी बराबरी कर पाना मुश्किल ही नहीं असंभव भी है उनको हरिद्वार के राजनीतिक विश्वविद्यालय का कुलाधिपति कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी हालांकि कांग्रेस को अपनी इस हार पर आत्मचिंतन करना चाहिए परिणामों की समीक्षा करनी चाहिए और जनता किसी राजनीतिक दल से क्या अपेक्षा रखती है उस एजेंडे पर काम करना चाहिए !

By DTI