डी टीआई न्यूज़।रक्षा बंधन के दिन जहां लोग भाई बहन के प्यार का त्योहार मानते हैं, वहीं एक जगह ऐसी भी है जहां इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधती हैं, बल्कि पूरा गांव मिलकर पत्थरों से करता है ‘युद्ध’ ।
यह जगह है उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के चंपावत में मां वाराही धाम। यहां श्रावणी पूर्णिमा ( रक्षाबंधन के दिन) को स्थानीय लोग चार दलों में विभाजित होकर पत्थरों से युद्ध करते हैं।
इन चार दलों को खाम कहा जाता है, जिनमें क्रमश: चम्याल खाम, बालिक खाम, लमगडिया खाम, और गडहवाल होते हैं। इस पत्थरमार युद्ध को स्थानीय भाषा में ‘बग्वाल’ कहा जाता है।
यह बग्वाल कुमाऊं की संस्कृति का अभिन्न अंग है। हालांकि अब यहां फूलों और फलों से बग्वाल खेली जाने लगी है, लेकिन लोग एक बार पत्थर से युद्ध जरूर करते हैं।
इस युद्ध में कई लोग घायल भी होते हैं। इसलिए बचाव के लिए बग्वाल खेलने वाले अपने साथ बांस के बने फर्रे पत्थरों को रोकने के लिए रखते हैं। इस बार बग्वाल रक्षाबंधन के दिन 31 अगस्त को होगी।
बताया जाता है कि यहां पहले रक्षाबंधन पर नर बलि दी जाती थी। जब गांव की एक बुजुर्ग महिला के बेटे की बारी आई, तो महिला ने देवी मां की तपस्या की ।
तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने महिला को बताया कि नर बलि न देकर एक व्यक्ति के बराबर रक्त होना चाहिए। कहा जाता है कि तबसे पूरा गांव यहां पत्थरों से युद्ध खेलता है और रक्त बहने तक पत्थरों की बरसात की जाती है।