नई दिल्ली, दिव्या टाइम्स इंडिया। संसद का विशेष सत्र, सोमवार को शुरू हो गया है। मंगलवार से नए संसद भवन में सत्र चलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, नए संसद भवन में जाने से पहले देश की संसद के 75 साल की यात्रा का स्मरण कर लेते हैं। हम सब इस एतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। इसमें देशवासियों का पसीना लगा है। आजादी से पहले यह सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान हुआ करता था। आजादी के बाद इस भवन को संसद भवन की पहचान मिली। संसद का पुराना भवन, आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देगा। पुराने संसद भवन की अनेक यादें हैं। संसद भवन में देश के पहले राष्ट्रपति के चुनाव में प्रधानमंत्री नेहरु से एक छोटी सी चूक हो गई थी। संसद भवन में जब वे वोट डालने लगे, तो उनके पेन से स्याही टपक गई। इससे उनकी वरियता, स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ी। नतीजा, उस वक्त हलचल मच गई। तत्कालीन पीएम नेहरु को दोबारा से नया बैलेट पत्र दे दिया गया। एक अन्य घटना में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए एक उम्मीदवार, रावण का मुकुट पहनकर संसद भवन में पहुंच गया।

नेहरु के खराब पेन ने संसद भवन में मचाई हलचल

लंबे समय तक लोकसभा के महासचिव रहे और संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के साथ राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया को संपन्न करा चुके दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एसके शर्मा ने पुराने संसद भवन के कई रोचक किस्सों को लेकर बातचीत की है। एसके शर्मा के मुताबिक, देश के पहले राष्ट्रपति का चुनाव था। वोटर को पहले एक पेन दिया जाता है। उससे वे वन या टू लिखते हैं। संसद भवन में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने अपने पेन से वन लिखा, तो वहां स्याही का एक धब्बा गिर गया। कायदे से वह वोट रद्द होना चाहिए था। ऐसे में निर्वाचन अधिकारी को यह पावर होती है कि वह नया बैलेट पत्र जारी करे या नहीं। स्याही के धब्बे से नेहरु द्वारा दी गई वरियता दिखाई नहीं पड़ रही थी। संसद भवन में हलचल सी मच गई। सांसदों के बीच कानाफूसी शुरु होने लगी। उसके बाद पीएम नेहरु को यह मानकर कि उनका पेन खराब था, दूसरा बैलेट पत्र दे दिया गया।  

संसद भवन में पहुंचा ‘रावण’ तो दूसरी तरफ घोड़े वाला

राष्ट्रपति चुनाव में काका जोगेंद्र सिंह उर्फ धरती पकड़ का नाम खासा मशहूर रहा है। हालांकि इस नाम के तीन अलग-अलग व्यक्ति रहे हैं। नागर मल बाजोरिया उर्फ काका धरती पकड़ ने कई बार राष्ट्रपति पद का बतौर निर्दलीय उम्मीदवार, चुनाव लड़ा था। वे लोकसभा और विधानसभा के अनेक चुनाव लड़ चुके थे। उन्होंने फखरूदीन अली अहमद, नीलम संजीव रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह और आर. वेंकटरमण के सामने चुनाव लड़ा था। वैंकटरमण के सामने चुनाव लड़ने के लिए जब वे नामांकन भरने संसद भवन में पहुंचे, तो रावण का मुकुट पहन कर आए थे। उस वक्त एसके शर्मा, निर्वाचन अधिकारी सुभाष कश्यप के सहायक के तौर पर काम कर रहे थे। संसद परिसर में रावण का मुकुट पहने व्यक्ति को देखकर सब लोग हैरान रह गए। इसके बाद एक अन्य व्यक्ति, भगवती प्रसाद ‘रायबरेली’ घोड़े पर बैठकर नामांकन दाखिल करने संसद भवन पहुंच गया। उन्होंने अपने घोड़े को संसद भवन के बाहर कहीं बांध दिया था।

जब संसद परिसर में पहुंची नई नवेली दुल्हन

बतौर एसके शर्मा, अस्सी और नब्बे के दशक में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए अनेक व्यक्ति चले आते थे। संसद भवन के स्वागत कक्ष पर फार्म मिल जाता था। तब मैं वहीं पर मौजूद था। एक व्यक्ति अपनी नई नवेली दुल्हन को लेकर वहां पहुंच गया। उसने कहा, राष्ट्रपति चुनाव का नामांकन फार्म दे दें। उससे पूछा गया कि आप में से कौन, राष्ट्रपति का चुनाव लड़ेगा। उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि उनकी पत्नी चुनाव लड़ेंगी। उन्हें फार्म तो दे दिया गया। एसके शर्मा ने पूछा, आप अपनी आयु बताएं। दुल्हन शरमा गई। स्थिति को भांपते हुए शर्मा ने कहा, देखिये मैडम राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 35 वर्ष की आयु होना जरुरी है। इतना सुनते ही वे दोनों चुपचाप, संसद भवन से बाहर की ओर निकल गए।

संसद भवन में मुझे चाय पानी के लिए नहीं पूछ रहा

उस दौर में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए जमानत राशि भी सामान्य ही होती थी। दूसरा, नामांकन पत्र पर किसी अनुमोदक या प्रस्तावक के हस्ताक्षर भी जरूरी नहीं थे। ऐसे में कई लोग राष्ट्रपति के चुनाव को गंभीरता से नहीं लेते थे। एक महोदय जब फार्म भरने के लिए संसद भवन पहुंचे, तो वे नाराज हो गए। वजह, उनसे चाय-पानी नहीं पूछा गया। उस वक्त सुभाष कश्यप वहां मौजूद नहीं थे। कुछ देर बाद जब कश्यप वहां पहुंचे तो उस व्यक्ति ने कहा, मुझे बीस मिनट हो गए हैं। कोई चाय तक नहीं पूछ रहा है। मैं देश के सर्वोच्च पद पर बैठने जा रहा हूं। इस पर सुभाष कश्यप मुस्कुरा दिए। उन्होंने कहा, आप बताएं क्या लेंगे। चाय या जूस। वह बोला, जूस मंगवा दें। उसने जूस पिया और नामांकन फार्म देकर चला गया। ऐसे ही उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या के चलते शुरू में राष्ट्रपति चुनाव का नामांकन भरने वाले व्यक्ति के लिए दस प्रस्तावक व दस अनुमोदक के दस्तखत लाना जरूरी किया गया।

अमर उजाला के सौजन्य से

By DTI