देहरादून, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और भोजनमाताओं द्वारा करीब एक माह से अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन शुरू किया गया था। महिलाएं लाठी धक्के खाने के बाद भी आंदोलन के लिए डटी रही और आखिर सरकार को आंगनवाड़ी आशा व भजन माताओ के संघर्ष के आगे झुकना पड़ा ।
उत्तराखंड सरकार ने आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और भोजनमाताओं की समस्याओं के समाधान के लिए अपर मुख्य सचिव आनंदबर्द्धन की अध्यक्षता में कमेटी – गठित करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह कमेटी गठित की जा रही है। आशा, आंगनबाड़ी और भोजनमाता संगठन दोबारा आंदोलन को स्थगित करने का फैसला लिया गया है। कुछ दिन पूर्व ही इन संगठनों की ओर से सीएम आवास कूच किया गया था। इसके बाद सरकार ने तीनों संगठनों के समाधान के लिए कमेटी बनाने का निर्णय लिया। यह कमेटी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सेविका कर्मचारी यूनियन, आंगनबाड़ी सेविका मिनी कर्मचारी संगठन, आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन, उत्तराखंड भोजनमाता कामगार यूनियन की प्रमुख मांगों पर विचार करेगी। उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष श्रीमती सुशीला खत्री ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने टालमटोल किया तो सभी संगठन उग्र आंदोलन करने पर मजबूर होंगे । आचार संहिता कभी भी लगने के कारण इस प्रदर्शन को चुनाव होने तक स्थगित किया गया है ।
सुशीला खत्री ने सभी कार्यत्रियों का आंदोलन में सहयोग करने पर आभार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि बहनों आप लोगों की जीत हुई आपने सरकार को मजबूर कर दिया अपने बारे में सोचने के लिए और यह संगठन की जीत है आप सभी लोगों को बधाई, आपका संघर्ष रंग लाया है, धरना आगे नहीं बढ़ाया जा सकता था क्योंकि आचार संहिता लागू होने वाली है इसलिए हम सरकार के लिखित आश्वासन पर धरने को स्थगित करते हैं ।