प्रभु पाल सिंह रावत ।नैनीडाँडा के रा.इ.का.कोचियार की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा . “स्पर्श गंगा अभियान”के अन्तर्गत विद्यालय में विचार संगोष्ठी,प्राकृतिक जल स्रोतों की सफाई, जागरूकता रैली व स्वच्छता शपथ ली गयी।
संगोष्ठी में रा.से.यो.इकाई के कार्यक्रम अधिकारी मनमोहनसिंह रावत ने बताया कि देश में यह पहला अभियान है जो विद्यालयी छात्रों को जागरूक करने के साथ-साथ सम्पूर्ण देशवासियों को गंगा की स्वच्छता के प्रति जागरूक करता है। उत्तराखण्ड में इस कार्यक्रम की शुरुआत 17दिसम्वर 2009 में तात्कालिक मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा की गयी थी।जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा एवं सहायक नदियों की स्वच्छता,निर्मलता, अविरलता एवं पावनता को बनाये रखने हेतु लोगों को जागरुक करना है।

चन्द्रमोहन ध्यानी ने बताया कि जल स्रोत व जल धारा,गंगा के समान पावन व जीवनदायिनी हैं।अतः प्रत्येक नागरिक का दायित्व व कर्तव्य है कि वह इनका संरक्षण व संवर्धन करे।
विज्ञान अध्यापिका रुचिता ने प्रदूषित जल में विद्यमान “कोलिफार्म जीवाणु” के बारे में बताया कि यह सूचक का कार्य करता है।
हिन्दी अध्यापिका मीना ने बताया कि देव भूमि में अविरल बहने वाली गंगा विश्व धरोहर है,जिसकी जल धारा को स्वच्छ रखना हमारा परम् कर्तव्य है।
शारीरिक प्रशिक्षक मो.अवेस ने बताया कि वर्ष 2014 में केन्द्र सरकार द्वारा गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने व नदी को पुनर्जीवित करने के लिये”नमामि गंगे”नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का आरम्भ किया गया है। इस योजना का क्रियान्वयन केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
अंग्रेजी अध्यापिका रूबी ने बताया कि हिमालय की गोद में कई नदियों के संगम के बाद देवप्रयाग से गंगा का जन्म होता है। इसी देवभूमि में गंगा को माँ की संज्ञा मिलती है। गंगा की समग्र अविरलता व निर्मलता के लिये के लिये नमामि गंगा अभियान की यात्रा का आरम्भ होता है।
अध्यापक चंदन नेगी ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध तीर्थ हरिद्वार व ऋषिकेश में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं। धार्मिक विसर्जन व शहर की अव्यवस्थित सीवरेज प्रबंधन से गंगा यहाँ प्रदूषित हो रही थी,इस प्रदूषण को कम करने के लिये वहाँ के घाटों व मोक्षधाम के नव निर्माण,नक्षत्र वाटिका, गंगा हरितिमा, गंगा वाटिका आदि पर कार्ययोजना बनाकर सकारात्मक परिणाम अब दिखने लगे हैं एवं शीघ्र ही सारी परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन से माँ गंगा देवभूमि से सम्पूर्ण निर्मलता व अविरलता से अपने आगे की यात्रा कर पायेगी।
हिन्दी अध्यापिका उमेश्वरी ने माँ गंगा की धार्मिक महत्ता पर अपने विचार रखते हुये कहा कि “धरा पर जब से यह बह रही है,दिल में उतारो यही कह रही है।”
कार्यक्रम का संचालन दिनकर रावत व आरती ने संयुक्त रुप से किया,जिसमें विद्यालय के शिक्षक, शिक्षिकायें,कार्यालय कर्मी व रा.से.यो. के स्यंसेवी उपस्थित रहे।
