कावड़ यात्रा को लेकर कावड़ियों के अलग-अलग नजारे देखने को मिलते रहते हैं हरिद्वार में आज से कावड़ यात्रा शुरू हो गई है।
शिव भक्तों को कोई परेशानी ना आए उसके लिए प्रशासन में पुलिस द्वारा जबरदस्त प्रबंध किए गए हैं और हरिद्वार ओं में कई जोनों में बांटकर सुरक्षा दी जा रही है आज हम आपको शिव भगत का 121 किलो की कावड़ हरिद्वार में चर्चा का विषय बनी हुई है भाई यह बताते हैं कौन है वह ।
शोभित त्यागी नाम का भक्त हरिद्वार से 121 किलो गंगा जलभर कर पैदल अपने साथियों के साथ उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर पहुंचा. शोभित यह तीसरी कावड़ यात्रा है. वो 27 जून को हरिद्वार से यात्रा शुरू की और रोजाना अपने साथियों के साथ मिलकर 7 से 8 किलोमीटर पैदल चलते हैं.।
दो साल कोरोना वायरस के चलते बंद रही कावड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू हो रही है. इस बार कावड़ियों की संख्या बढ़ने की संभावना है, इस कारण प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं.
सावन के महीने को भगवान भोलेनाथ को समर्पित माना गया है. ऐसे में भोले के भक्त सावन के पूरे महीने में बाबा को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार से गंगा जल भरकर लाते हैं और शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं.
इस दौरान रंग बिरंगी कावड़े देखने को मिलती हैं, कोई डाक कावड़ लता है तो कोई लाखों रुपये खर्च कर बड़ी कावड़. श्रद्धालु सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल तय कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. इसी कड़ी में शोभित त्यागी नाम का भक्त हरिद्वार से 121 किलो गंगा जलभर कर पैदल अपने साथियों के साथ उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर पहुंचा. शोभित यह तीसरी कांवड़ यात्रा है.
वो 27 जून को हरिद्वार से यात्रा शुरू की और रोजाना अपने साथियों के साथ मिलकर 7 से 8 किलोमीटर पैदल चलते हैं. शोभित 26 जुलाई को शिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे.
शोभित का कहना है कि उन्होंने 27 जून को हरिद्वार हर की पौड़ी से 121 किलो जलभरा था. उन्हें चलते-चलत पूरे 15 दिन हो गए हैं. वो रोज 7 से 8 किलोमीटर पैदल चलतें हैं उनके ग्रुप में 4 सदस्य हैं. कोरोना की वजह से दो साल तक कावड़ यात्रा बंद रही जिससे उन्हें निराशा है. इस बार बड़ी संख्या में कावड़ियों की भीड़ उमड़ रही है. 26 जुलाई को शिवरात्री के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाएगा.
हिंदू धर्म में कावड़ यात्रा के प्रारंभ को लेकर बहुत सी कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं. मान्यता है कि इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.