देहरादून, डी टीआई न्यूज़।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार शाम को कहा कि इसी साल उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू कर दी जाएगी। एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में बोलते हुए धामी ने कहा- हमने 2022 के चुनावों में लोगों से वादा किया था कि सूबे में समान नागरिक संहिता लागू करेंगे। सरकार बनने के बाद हमने सबसे पहले इस संबंध में एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया। समिति ने राज्य के 2.33 लाख लोगों, संगठनों और संस्थानों के साथ-साथ आदिवासी समुदायों से भी सुझाव लिए हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा- देश में एक समान नागरिक कानून होने चाहिए। यह जनता की मांग है। इसकी शुरुआत उत्तराखंड से होगी। संवैधानिक व्यवस्था के तहत हम इसी साल राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू करेंगे। उत्तराखंड में सभी लोग आपसी सौहार्द के साथ रहते हैं। लेकिन लोगों को धोखा देकर, लालच देकर और गुमराह करके धर्म परिवर्तन कराया जा रहा। देवभूमि देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाये रखने के लिए इसे रोकना जरूरी है। देवभूमि के प्रति देश-विदेश के लोगों की आस्था है। यह देश के हित में है कि गंगा यमुना का आध्यात्मिक और धार्मिक लोकाचार बरकरार रहे।

इसके साथ ही सीएम धामी ने यह भी दावा किया कि 2014 और 2019 के चुनावों की तरह हमें 2024 के लोकसभा चुनावों में भी केंद्र और राज्य सरकार के कार्यों की बदौलत फिर से राज्य के लोगों का आशीर्वाद मिलेगा। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल 27 मई को राज्य में समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन के लिए एक मसौदा तैयार करने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय मसौदा समिति का गठन किया था।

धामी ने पिछले साल 12 फरवरी को चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा की थी कि सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने का पहला बड़ा निर्णय लेगी। पिछले साल 24 मार्च को राज्य में सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने का प्रस्ताव पारित किया था। कैबिनेट बैठक के बाद सीएम धामी ने कहा था कि संविधान का अनुच्छेद-44 राज्य सरकारों को यूसीसी लागू करने का भी अधिकार देता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि राज्य नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।

यूसीसी समिति के घटनाक्रम से अवगत एक अधिकारी के अनुसार, महिला अधिकारों पर केंद्रित मसौदे में बहुविवाह / बहुपति प्रथा पर प्रतिबंध और महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 से बढ़ाकर 21 साल करने जैसी सिफारिशें शामिल हैं।

यही नहीं मसौदे में बच्चा गोद लेने का समान कानून और मुस्लिम महिलाओं के लिए माता-पिता की संपत्ति में समान हिस्सेदारी की सिफारिशें भी की गई हैं। इसमें लिव-इन रिलेशनशिप का अनिवार्य पंजीकरण भी शामिल हैं। इस तथ्य को देखते हुए कि राज्य के कई सैनिक ड्यूटी के दौरान शहीद हो जाते हैं, मसौदे में माता-पिता को बहू की संपत्ति में हिस्सा पाने में मदद करने के लिए विरासत प्रावधानों को उलटने जैसी सिफारिशें भी शामिल हैं।

By DTI