देहरादून,डीटी आई न्यूज़।कोरोना की दहशत के बीच खतरनाक ब्लैक फंगस ने राज्य में दस्तक दे दी है। राजधानी के मैक्स अस्पताल में एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। जबकि दो मरीज अस्पताल में इलाज के बाद छुट्टी लेकर जा चुके हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल प्रसाद ने बताया यह बीमारी और भी रोगों के साथ देखी जाती रही है। यह कहना तो मुश्किल होगा कि राज्य में यह पहली बार देखी गई है। परंतु कुछ कोविड का इलाज करा चुके मरीजों में, जिन्होंने अस्पताल में रिपोर्ट किया है में ये देखी गई थी।

देहरादून के घण्टाघर चौक में युवती का हाइवोल्टेज ड्रामा,पुलिस से अभद्रता,मामला दर्ज

अब एक नया मरीज मिला है, जिसकी जांच के बाद ब्लैक फंगस की पुष्टि हो गई है। उसका इलाज किया जा रहा है। उन्हेांने कहा कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, सिर्फ सतर्क रहना है। इसका इलाज संभव है। खासकर कोरोना,शुगर या अन्य गंभीर रेागों से पीड़ित मरीजों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है मैक्स में एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। इसके बाद उसका इलाज किया जा रहा है। देा मरीज इलाज के बाद घर जा चुके हैं। उनमें भी ऐसे लक्ष्ण पाए गए थे। हम पूरी तरह से अलर्ट हैं। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं। बस सतर्क रहें और लक्षणों पर ध्यान रखें।

करोना पर पूर्व मुख्यमंत्री ने किया बड़ा खुलासा

ब्लैक फंगस दुर्लभ लेकिन एक गंभीर बीमारी है. Covid-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैल जाता है जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इन लोगों में रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता कम होती है. हवा के जरिए ये फंगल इंफेक्शन साइनस और फेफड़ों को आसानी से शिकार बना लेता है. ब्लैक फंगस आमतौर पर कोरोना से ठीक होने वाले कुछ मरीजों में देखा जा रहा है. ये इंफेक्शन स्किन, फेफड़ों और दिमाग में फैलता है. हाल ही में इस बीमारी को लेकर एक एडवाइजरी भी जारी की गई है.
आंख-नाक में दर्द या लाल होना, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में दिक्कत, खून के साथ उल्टी होना इसके मुख्य लक्षण हैं. एडवाइजरी के अनुसार कुछ लोगों में ये इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है. साइनस की समस्या, चेहरे के एक तरफ दर्द या सूजन, नाक के ऊपर काली पपड़ी होना, दांतों और जबड़ों का कमजोर होना, आंखों में दर्द के साथ धुंधला दिखाई देना, थ्रोम्बोसिस, त्वचा का घाव, सीने में दर्द और सांस संबंधी दिक्कत होने पर ये इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है.

डॉक्टर्स का कहना है कि म्यूकोरमाइकोसिस के नए मामले अस्पताल में भर्ती या फिर ठीक हो चुके कोरोना के मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रही है. जिन लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत है, उन्हें इस बीमारी का खतरा कम है.

By DTI