नई दिल्ली, एजेंसी ।भारत और कनाडा के बीच जारी तनाव में एक नए देश चीन का भी नाम जुड़ गया है। इससे पहले इस तनाव में पाकिस्तान की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे थे। एक आतंकी की हत्या के बाद शुरू हुआ ये विवाद भारत विरोधी देशों की सांठगांठ तक पहुंच गया है। कनाडाई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि पूरे विवाद में चीन का फायदा हो सकता है। 

विवाद में चीन का नाम कैसे आया?
कनाडा के अखबार नेशनल पोस्ट ने दावा किया है कि दोनों देशों के तनाव के बीच चीन एक ऐसा देश है जिसे सबसे ज्यादा इसका फायदा मिल सकता है। अखबार के मुताबिक, बीते एक साल से अधिक समय से ट्रूडो कनाडाई चुनावों में चीन के सत्ताधारी दल चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा विदेशी हस्तक्षेप को लेकर बचाव की मुद्रा में हैं। अब तक वह इस मामले में कोई ठोस जवाब नहीं दे सके हैं। ऐसे में यह विवाद उनकी चीन के साथ संदिग्ध साझेदारी को उजागर करता है। 

ट्रूडो पर क्यों लग रहे चीन से सांठगांठ के आरोप?
खुफिया दस्तावेजों के जरिए कनाडाई अखबार ग्लोब एन्ड मेल ने दावा किया था कि चीनी राजनयिक 2021 में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने के लिए काम कर रहे थे। इसके साथ ही चीन कंजर्वेटिव उम्मीदवारों को हराने के लिए काम कर रह था, जिन्हें वह अपने प्रति मित्रवत नहीं मानता था। दस्तावेजों से यह भी पता चला कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी कथित विरोधियों को चीन ले जाने के लिए कनाडा में गुप्त पुलिस स्टेशन संचालित करती है। कहा जाता है कि बाद में इन विरोधियों को कारावास और संभवतः मौत की सजा तक का सामना करना पड़ता है। कहा तो यहां तक जाता है कि चीन ने कनाडा में 2021 ही नहीं 2019 के चुनावों में भी जस्टिन ट्रूडो को जीतने में मदद की थी।

चीन को क्या फायदा मिलने की बात कर रहा कनाडा का मीडिया?
अखबार ने कहा है कि ट्रूडो के बाद विवाद में दूसरा बड़ा विजेता चीन है। विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच कनाडा में आखिरकार शुरू हो गई लेकिन अब उस पर ध्यान केंद्रित नहीं है। यह संकट कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति को भी प्रभावित करता है, जिसकी शुरुआत नवंबर 2022 में हुई थी। इसमें चीनी नीतियों की आलोचना की गई थी और भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने की मांग की गई थी। हालांकि, ताजा विवाद से कनाडा की यह नीति ठंडी पड़ गई। अखबार ने यह भी लिखा कि बेहद सफल जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के ठीक बाद भारत की प्रतिष्ठा को झटका लगा है जिसका फायदा उसके प्रतिद्वंद्वी चीन हो सकता है।

By DTI