देहरादून,डीटी आई न्यूज़।एक कहावत है ।चोर चोर मौसेरे भाई।आपने ये भी सुना होगा ग्राम पंचायतो से ही संसद (लोक सभा) बनती और चलती है।लेकिन ऐसे में कैसे चलती होगी?
विभिन्न क्षेत्रो के प्रधान लोगों से संज्ञान में आया है कि ग्राम पंचायतो के लिए विकास कार्यो हेतु जो धन राज्य व केंद्र सरकारो से आवंटित होता है उसकी निकासी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत प्रधान के संयुक्त हस्ताक्षरो से होती है।लेकिन कयी जगह ऐसा न होकर ग्राम पंचायत प्रधान के हस्ताक्षर बिना धन निकासी हो रही है।इस कार्य को अंजाम व अमलीजामा पहनाने के लिए ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ने प्रधान के डिजिटल हस्ताक्षर अपने कम्प्यूटर में सुरक्षित रखे है।
।जब भी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को जरूरत पडे इसी डिजिटल हस्ताक्षर से समय समय पर निकासी होती है।बेचारे प्रधान को पता भी नहीं लगता कि पैसा कहाँ जा रहा है।थोड़ा-बहुत देकर उसका मुह भी बन्द कर देते हैं।आजकल आरक्षण के कारण कयी प्रधान ऐसे हैं जिनको इस डिजिटल हस्ताक्षर का दूर दूर तक भी जानकारी व बोध नहीं है।कयी महिला प्रधान ऐसी है जिनको अपने घरेलू कामकाज घास पात,लकड़ी,गाय बच्छी आदि से फुर्सत ही नहीं है।वे डिजिटल हस्ताक्षर के बारे में क्या जानेंगे।अब अधिकाधिक ऐसा देखा गया है कि उनकी जगह उनके पति,ससुर प्रधान गिरी करते देखे जा सकते है।ऐसे मे गाँव विकसित कैसे हो सकते है।आप ही अंदाजा लगा सकते हो।
इन सभी बातो को दिल दिमाग में रखते हुए डिजिटल हस्ताक्षर से निकासी पर लगाम व रोक लगाने में ही गांव का विकास सम्भव हो सकेगा।तथा सरकारी धन का दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा।