देहरादून हरिद्वार।,हर्षिता।हरिद्वार सीट से भाजपा ने इस बार पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रत्याशी बनाया है। त्रिवेंद्र रावत को पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की जगह प्रत्याशी बनाया गया है। निशंक का टिकट काटकर त्रिवेंद्र रावत को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है। त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटने के बाद करीब तीन साल बाद चुनावी मैदान में है। त्रिवेंद्र रावत हरिद्वार लोकसभा की डोईवाला सीट से विधायक रह चुके हैं।

लोकसभा सीट प्रदेश की सबसे बड़ी सीट होने के साथ ही कई मायनों में खास है। यहां हरिद्वार जिले की 11 विधानसभा सीटों के साथ ही तीन देहरादून जिले की सीटें हैं। इस सीट पर मुस्लिम वोटर का भी अच्छा खासा वर्चस्व है। साथ ही व्यापारी, पहाड़ी वोटर भी है।

पूर्व सीएम के बेटे पहली बार
कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत पहली बार हरिद्वार से किस्मत आजमाएंगे। हालांकि इस चुनावी समर में हरीश रावत ही सियासी पिच पर पर्दे के पीछे से बेटिंग करते हुए नजर आएंगे। वीरेंद्र रावत का खानपुर, रूडकी समेत कई क्षेत्रों में सक्रियता रही है। जिसके दावे के साथ वे इस बार चुनावी मैदान में हैं।

लोकसभा सीट प्रदेश की सबसे बड़ी सीट होने के साथ ही कई मायनों में खास है। यहां हरिद्वार जिले की 11 विधानसभा सीटों के साथ ही तीन देहरादून जिले की सीटें हैं। इस सीट पर मुस्लिम वोटर का भी अच्छा खासा वर्चस्व है। साथ ही व्यापारी, पहाड़ी वोटर भी है।

पूर्व सीएम के बेटे पहली बार
कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत पहली बार हरिद्वार से किस्मत आजमाएंगे। हालांकि इस चुनावी समर में हरीश रावत ही सियासी पिच पर पर्दे के पीछे से बेटिंग करते हुए नजर आएंगे। वीरेंद्र रावत का खानपुर, रूडकी समेत कई क्षेत्रों में सक्रियता रही है। जिसके दावे के साथ वे इस बार चुनावी मैदान में हैं।

वीरेंद्र युवा चेहरे हैं इसके साथ ही ह​रिद्वार ग्रामीण से हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत भी ​वीरेंद्र के लिए बड़ा फेक्टर हैं। जिससे कांग्रेस को काफी मदद मिल सकती है। हरिद्वार सीट पर खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार भी चुनावी मैदान में है और जीत का दावा कर रहे हैं।


उमेश कुमार भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। इसके साथ ही हरिद्वार सीट पर बहुजन समाज पार्टी का भी प्रभाव है। बसपा ने भावना पांडेय को टिकट दिया है। जो कि राज्य आंदोलनकारी भी हैं। ऐसे में हरिद्वार की जंग दिलचस्प हो गई है।

By DTI