देहरादून, हर्षिता। करोड़ों के शराब कारोबार में अल्मोड़ा जिले से लेकर नैनीताल हल्द्वानी तक के सफेदपोश डूबे हुए हैं। इसकी तस्दीक अल्मोड़ा में एक के बाद एक दर्ज हो रहे मुकदमे कर रहे हैं। मुकदमों में बैंक अधिकारियों, उनके परिजनों के साथ सरकारी कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं।
अल्मोड़ा में इन दिनों शराब कारोबार में धोखा, छल और जालसाजी के मामले चर्चाओं में हैं। अब तक दर्ज हुए मुकदमों में बैंक अधिकारियों, शराब कारोबारियों और सरकारी कर्मचारियों के बीच सांठगांठ सामने आई हैं।
इन लोगों का शराब का कारोबार अल्मोड़ा जिले के रानीखेत, कोसी, सोमेश्वर के अलावा हल्द्वानी के काठगोदाम, मंगलपड़ाव तक फैला हुआ है। इनसे जुड़कर लाखों का लाभ कमाने वाले बैंक प्रबंधकों, उनके रिश्तेदारों और सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
इनमें से दो मामले बैंक में रखी गारंटी की रकम निकालने के हैं तो तीन मामले पौने छह करोड़ की लिमिट से जुड़े हुए हैं। जबकि एक मामले में बैंक प्रबंधकों पर गारंटी की रकम निकलवाने, नियम विरुद्ध ऋण स्वीकृत करने अपने करीबियों को लाभ पहुंचाने के आरोप तक लगे हैं।
वहीं, सरकारी कर्मचारियों के कारोबार में शामिल होने पर भी सवाल उठ रहे हैं। कारोबारियों में घमासान का नतीजा है कि हर मुकदमे में नए नाम सामने आने लगे हैं। बिना सहमति के कैसे लगा दिए दस्तावेज पूरे विवाद में यह भी सामने आया है कि फर्म ने शराब कारोबार के लिए करोड़ों की लिमिट बनाई। लिमिट में उन्हें गारंटरों की जरूरत थी।
आरोप लगे हैं कि बैंक मैनेजर की मिलीभगत से शराब कारोबारियों ने पूर्व में जमा दस्तावेजों को लगाकर गारंटर बना दिया। वहीं, लोनिवि के जेई का आरोप है कि उसके भवन में फर्म का गोदाम था। इसकी
आरोप लगे हैं कि बैंक मैनेजर की मिलीभगत से शराब कारोबारियों ने पूर्व में जमा दस्तावेजों को लगाकर गारंटर बना दिया। वहीं, लोनिवि के जेई का आरोप है कि उसके भवन में फर्म का गोदाम था। इसकी आड़ में आरोपियों ने फर्जी तरके से उन्हें गारंटर तक बना दिया।
लिमिट खोल रही राज शराब कारोबारियों के बीच विवाद की जड़ पौने छह करोड़ रुपये की बैंक लिमिट है। इसकी वसूली के लिए कारोबारियों और गारंटरों को नोटिस भेजे जा रहे हैं। लेकिन कोई भी रकम को भरने को तैयार नहीं।
कारोबार में हुए घाटे से पार्टनर बन गए जालसाज
शराब कारोबारियों, बैंक प्रबंधक और पार्टनरों के बीच मचे घमासान का कारण कारोबार में हुआ घाट बताया जा रहा है। फर्म के एक पार्टनर ने बताया कि जब तक सभी को मुनाफा मिल रहा था तब तक सब कुछ ठीक था। जैसे ही कारोबार में घाटा हुआ तो पार्टनर, बैंक प्रबंधक और अन्य ने किनारा करना शुरू कर दिया। अब यही विवाद कानूनी कार्रवाई तक पहुंच गया है।