हरिद्वार। नागा सन्यासियों के सबसे प्राचीन व बड़ा अखाड़ा श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े में नागा सन्यासियों को दीक्षित करने का प्रथम चरण आज माई बाडे की सन्यासिनी माइयों के संस्कार के साथ पूर्ण हो गया है। इससे दो दिन पूर्व पुरूष नागा सन्यासी दीक्षित किये गये थे। आज प्रातः ब्रहममुहर्त में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने लगभग 200 सन्यासिनियों को प्रेयस मंत्र देकर सन्यास प्रक्रिया को पूर्ण कराया। सन्यास दीक्षा का दूसरा चरण आगामी 25अप्रैल को प्रारम्भ होगा,जिसमें हजारों नागा सन्यासी तथा सन्यासिनी दीक्षा लेंगी। इसके लिए पंजीकरण प्रारम्भ हो गया है। दीक्षा लेने वालों में नागा सन्यासिनी माई केैलाश गिरि तथा नागा सन्यासी महंत रमेश गिरि का नाम विशेष उल्लेखनीय है। यह दोनो ही दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज के शिष्य है। माई कैलाश गिरि स्नातक है और सामाजिक क्षेत्र के साथ साथ राजनीति में भी सक्रिय रही है। हरनंदेश्वर महादेव मन्दिर हिण्डन गाजियाबाद निवासी माई कैलाश गिरि का पूर्व नाम सरोज शर्मा था जो कि सन्यास दीक्षा के बाद कैलाश गिरि हो गया है। माई कैलाश गिरि भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष के साथ साथ प्रदेश स्तर पर भी कई पदो पर रह चुकी है। श्रीमहंत नारायण गिरि से प्रभावित होकर उन्होने 2010 में कैलाश मानसरोवर की यात्रा की और तभी से वह धर्म की ओर आर्कषित हो गयी। हरिद्वार कुम्भ में उन्होने पूर्ण रूप से सन्यास ग्रहण कर लिया। श्रीमहंत नारायण गिरि के दूसरे शिष्य महंत रमेश गिरि वृन्दावन के रहने वाले है वह उत्तर रेलवे में सुरक्षा अधिकारी पद से हाल में ही सेवानिवृत हुए है। उन्होने बताया सर्विस के दौरान उनकी भेंट श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज से हुयी और तभी से उनका ध्यान अध्यात्म की हो आकृष्ट हो गया,जिसके चलते सेवानिवृत होने के बाद उन्होने सन्यास ग्रहण कर लिया अब वह वृन्दावन में आश्रम बना कर रह रहे है।