नई दिल्ली, डीटी आई न्यूज़। पिछले दिनों दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर सीबीआई द्वारा मामला दर्ज करने के बाद दिल्ली का राजनीतिक पारा आसमान पर है इसके जवाब में अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर आरोप लगाया था कि भाजपा दिल्ली में ऑपरेशन लोटस करने के लिए सिसोदिया को कह रही थी। इसको लेकर मामले में अब और तूल पकड़ लिया जब भाजपा के दिल्ली के साथ आंखों ने केजरीवाल के आरोपों की जांच कराने की मांग कर दी।
भाजपा सांसदों ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर अरविंद केजरीवाल के उन आरोपों की जांच कराने की मांग की है जिसमें उन्होंने आप विधायकों की खरीदफरोख्त के लिए 20 करोड़ रुपये का ऑफर देने की बात कही थी। भाजपा सांसदों का दावा है कि केजरीवाल ने ऐसा इसलिए किया ताकि शराब और शिक्षा घाटाले से लोगों का ध्यान हटाया जा सकते।
भाजपा सांसदों ने अपने पत्र में अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के साथ-साथ अन्य नेताओं के आरोपों को दुर्भावनापू्र्ण, झूठा और भ्रामक बताया है। उन्होंने आगे कहा कि हम भाजपा सांसदों को इन मानहारिकारक और बेबुनियाद आरोपों से बहुत पीड़ा हुई है। हमारा अनुरोध है कि इसकी जांच हो ताकि दिल्लीवासियों के साथ-साथ देश की जनता के सामने सच्चाई आये।
महिला से प्लंबर ने किया दुष्कर्म: अश्लील वीडियो वायरल की, विदेश में बैठे पति को भी भेजी
पंजाब के कपूरथला में एक 30 वर्षीय विवाहिता ने घर में पानी की टंकी ठीक करने आए प्लंबर पर दुष्कर्म करने और अश्लील वीडियो वायरल करने का आरोप लगाया है।
केजरीवाल ने भाजपा पर लगाया आरोप
केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा ने 800 करोड़ में उसके विधायक खरीदने की कोशिश की। उसकी मंशा 20-20 करोड़ रुपये देकर आप 40 विधायकों को तोड़ने की है। उन्होंने सवाल किया, इतनी बड़ी रकम कहां से मिली और रखी कहां है? वहीं, भाजपा ने केजरी के इस दावे को फिल्मी स्क्रिप्ट करार दिया।
दिल्ली सरकार पर शराब के साथ शिक्षा घोटाले का आरोप
भाजपा ने दावा किया कि दिल्ली में स्वास्थ्य और आबकारी नीति में घोटालों के बाद शिक्षा में भी बड़े घोटाले को अंजाम सरकार ने दिया है। दिल्ली के स्कूलों में 2400 कमरों की जरुरत थी, लेकिन इसको बढ़ाकर 7180 कमरें कर दिए गए।
कंस्ट्रक्शन राशि को 50 से 90 फीसदी तक बढ़ाया गया। इसके बाद सीवीसी ने एक रिपोर्ट दिल्ली सरकार के सचिव को 17 फरवरी 2020 को भेजी थी। लेकिन 30 महीनों तक उसपर केजरीवाल कारवाई नहीं की। टेंडर से 326 करोड़ रुपये का कोई हिसाब केजरीवाल के पास नहीं है। अगर किसी टेंडर में कोई बदलाव होता है तो वह पब्लिक डोमेन में आता है लेकिन केजरीवाल सरकार ने ऐसा नहीं किया।