कहते हैं बड़े, जो अच्छे या बुरे कर्म करके जाते हैं उन्हें आने वाली कई नस्लें भुगतती है। वर्तमान राजनीतिक परिपेक्ष में यह पूर्णतः दृष्टिगोचर हो रहा है। एक राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी का, चाटुकारों के बूते पर, जननी अनुकम्पा से, चिरस्थाई अध्यक्ष, आज कल – भारत जोड़ो , यात्रा पे हैं।
प्रश्न ये है कि भारत तोड़ा किसने ?
सदियों गुलामी का दंश झेल, असंख्य देशभक्तों की कुर्बानियों के उपरांत जब देश स्वतंत्र हुआ और देश की सत्ता कुछ स्वार्थी सवयमभू नेताओं के हाथ आई तो उन सबको अपनी अपनी डफली पे अपना अपना राग अलापना था । तो उनके आका ने भारत माता के टुकड़े करने का फरमान जारी कर दिया। एक स्वयंभू नेता को भारत की जनता खिलौनों की तरह सोप दी गई।
अन्य को पाकिस्तान बना वहां का आका बना दिया। क्युकी दोनों स्वयंभू नेताओ की स्वार्थ पूर्ति हुई तो आका को भी सम्पूर्ण राष्ट्र का स्वयंभू पिता घोषित कर दक्षिना दी गई। इस तरह कुर्बानियों से मिली आजादी पे नाम के लोकतंत्र में स्वार्थ की राजनीति का दुखद आरम्भ हुआ।
दोनों और से खून की नदियां बही, लाशे बिछी, सुहागिनें विधवा हुई, बच्चे अनाथ हुए। लेकिन सत्ता के वहशी दरिंदों को सिहासन पे बैठ, मासूम जनता की तबाही से ज़रा भी फ़र्क नही पड़ा। हिन्दू मुसलमान पे राजनीति सबसे बड़ा हथियार बनाया गया।
- वर्तमान में भारत जोड़ो यात्रा कर तो रहे हो पर ये वाकई भारत जोड़ो यात्रा है तो क्या जोड़ सकते हो भारत माता के वो टुकड़े जो आपके ही पुरखे करके गए???
- उस खाई को जो हिन्दू मुसलमानों में, आपके पुरखे पाकिस्तान बनाकर भी आधे मुसलमानों को यही रोककर, पैदा करके गए??? उन संतो को पुनः इसी जगत में जिनपर निर्ममता से आपकी पूज्य दादी मां ने गोलियां चलवाई???
नहीं जी आपके लिए संभव ही नहीं जिनके परिवार के किसी सदस्य पे दो सिख गोली चला दे और बदला असंख्य सिखो की निर्मम हत्या करवा के लिया जाए। उनका राजकुमार आज भारत जोड़ो यात्रा पे निकला है।
ये भारत जोड़ो यात्रा नहीं आपके डूबते सियासी कैरियर की पुनः स्थापना हेतु जनसंवाद यात्रा है । क्युकी येन केन प्राक्रेन आपको अपना स्वप्न पूरा करना है। जनता से न आपके पुरखो को फ़र्क पड़ता था न आपको। और जनता अब दिल से नहीं दिमाग से निर्णय लेना सीख चुकी है। ये सत्य जितना जल्दी समझ ले बेहतर है जागृति वशिष्ठ