देहरादून: हर्षिता। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के राजपुर इलाके में वन भूमि कब्जाने के मामले में प्रदेश के पूर्व डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) बीएस सिद्धू और तत्कालीन अपर तहसीलदार के खिलाफ एसआईटी ने कोर्ट ने चार्जशीट दाखिल कर दी है. साथ ही दोनों आरोपियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने की धाराओं में भी चार्जशीट दाखिल की गई है. इस मुकदमे में अन्य आरोपियों के खिलाफ एसआईटी पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. वहीं, कुछ आरोपियों की संलिप्तता नहीं पाए जाने के चलते उन्हें मुकदमे से अलग किया गया है.

पहले एक नजर पूरे मामले पर: बता दें कि अक्टूबर 2022 में मसूरी वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ आशुतोष सिंह ने राजपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. अपनी शिकायत में डीएफओ आशुतोष सिंह ने मौजा वीरगिरवाली राजपुर में स्थित वन भूमि को कुछ अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हस्तांतरित करवाने और राजस्व अभिलेखों में अपने नाम दर्ज करवाने का आरोप लगाया था. इस मामले की जांच एसआईटी कर रही थी.

इस मामले में अब एसआईटी ने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू और तत्कालीन अपर तहसीलदार शुजाउद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ सरकारी पद का दुरुपयोग करने की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की है. साथ ही इसी मामले से संबंधित नत्थूराम की शिकायत पर साल 2013 में राजपुर थाने में दर्ज मुकदमें की जांच में सामने आया कि पूर्व डीजीपी बीरेंद्र सिंह सिद्धू ने नत्थूराम, दीपक शर्मा, सुभाष शर्मा, स्मिता दीक्षित, चमन सिंह और प्रभुदयाल के साथ मिलकर वीर गिरवाली राजपुर स्थित वन भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार कर भूमि की फर्जी रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली थी.

12 साल से चल रही है जांच: मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते यह केस 12 साल तक खिंचता रहा है. साल 2013 में मुकदमा तो दर्ज हुआ, लेकिन चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई. इस केस में 22 विवेचक बदले गए है. साल 2016 में आरोपी बीएस सिद्धू डीजीपी के पद से रिटायर्ड हुए. बावजूद इसके जांच ने रफ्तार नहीं पकड़ी.

By DTI