डीटी आई न्यूज़,पठानकोट।Facebook Love: फेसबुक ने पंजाब के गबरू जवान और अमेरिकी गोरी की जोड़ी बना दी। दोनों की फेसबुक से शुरू हुई दोस्ती प्यार में इस कदर बदल गई कि वे सात जन्मों के बंधन में बंध गए। पठानकोट के नीरज और अमेरिका के सेंट्रल कोस्टारिका की ग्रेलिन की फेसबुक पर करीब चार साल पहले जान-पहचान हुई थी। तब दोनों को इसका अंदाजा ही नहीं था कि उनकी दोस्ती एक दिन परवान चढ़ेगी और दोनों शादी के बंधन में बंध जाएंगे।
नीरज बताते हैं कि कोरोना महामारी के कारण लाकडाउन लगने से पहले तक दोनों बस अच्छे दोस्त थे। लाकडाउन लगने के बाद दोनों की फेसबुक पर चेटिंग बढ़ने लगी। चैटिंग के साथ फोनकाल कर दोनों बात भी करते थे। फिर अचानक दोनों में नजदीकियां बढ़ीं और दोनों ने एक-दूसरे से प्यार का इजहार कर दिया। फेसबुक पर हुई दोस्ती के प्यार में बदलने के बाद दोनों एक दूसरे से मिलने को आतुर थे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद होने के चलते दोनों वर्चुअली ही मिल पा रहे थे और दोनों में सात समुद्र की दूरी थी।नीरज ने बताया कि कोविड के मामलों में कमी आई और एक बार फिर हालात कुछ सामान्य हुए तो अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने पर ग्रेलिन ने भारत आने का फैसला किया। इसी दौरान दोनों शादी करने का फैसला भी कर चुके थे। अपने परिवार को भारत जाने के लिए मनाने के बाद ग्रेलिन हवाई मार्ग के जरिये हुए पठानकोट पहुंच गई।
नीरज ने भी अपने परिवार को ग्रेलिन से फेसबुक पर हुई दोस्ती और प्यार की जानकारी दे दी थी। परिवार शादी के लिए भी मान गया। बीते बुधवार को ग्रेलिन और नीरज की सिख रीति रिवाज से शादी हो गई। मिशन रोड गुरुद्वारा साहिब में उनकी शादी की रस्में हुईं।
नीरज पठानकोट शहर के लमीनी इलाके में रहते हैं। नीरज ने बताया कि कोविड संक्रमण फैलने से पहले तक वह एक निजी कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर थे। लाकडाउन लगने के बाद उन्हें निजी कंपनी की नौकरी छोड़कर पिता और भाई द्वारा किए जा रहे फर्नीचर और इंटीरियर डिजाइनिंग का काम संभाल लिया है। अब वह फैमिली बिजनेस ही कर रहे हैं।
ग्रेलिन के परिवार को अभी अच्छे से नहीं जानते नीरज
नीरज बताते हैं कि ग्रेलिन के परिवार में उसकी मां, पिता और बहन है, लेकिन अभी वह उनके बारे में ज्यादा नहीं जानते। उन्होंने कहा कि ग्रेलिन के पिता का ट्रांसपोर्ट कारोबारी हैं। नीरज का कहना है कि वह चाहते हैं कि ग्रेलिन अब उनके साथ यहीं पंजाब में रहे और पंजाबी कल्चर सीखे। उन्होंने कहा कि ग्रेलिन इसके लिए मान भी गई है। अभी कुछ दिन बाद वो एक बार अमेरिका में सबसे मिलने जाना चाहती है। उसके बाद वहां से लौटकर यहीं रहेगी।
गूगल ट्रांसलेटर ने भाषा को प्यार में नहीं बनने दिया दीवार
नीरज की मानें तो ग्रेलिन को केवल स्पेनिश भाषा ही आती है। फेसबुक पर उनकी दोस्ती हुई तो दोनों को एक-दूसरे की भाषा समझ नहीं आती थी, लेकिन गूगल ट्रांसलेटर ने उनके बीच आई भाषा की दीवार को तोड़कर दोनों को एक-दूसरे को समझने में उनकी मदद की। अब दोनों एक दूसरे की बातें समझ लेते हैं।